Sawan 2022 Jaipur Maleshwar Mahadev Temple: जयपुर का ये शिव मंदिर है अनोखा और ऐतिहासिक, सूर्य के हिसाब से बदलता है दिशा
राजधानी जयपुर के पास अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच सामोद स्थित महार कलां गांव में मालेश्वर महादेव मंदिर (Jaipur maleshwar mahadev temple) है. ये मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है. इस मंदिर में स्वयंभूलिंग (sawan 2022 maleshwar mahadev) विराजमान है.
नई दिल्ली:
सावन का महीना (sawan 2022) भोलेनात का प्रिय महीना होता है. इस महीने के सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिवालय पहुंचते हैं. ऐसे तो देश में कई शिव मंदिर हैं लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे अनोखे और ऐतिहासिक शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जो हर छह महीने में सूर्य के हिसाब से अपनी दिशा बदलता है. आपको बता दें, कि राजधानी जयपुर के पास अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच सामोद स्थित महार कलां गांव में मालेश्वर महादेव मंदिर (Jaipur maleshwar mahadev temple) है. ये मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग (jaipur shivling) सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन होने के अनुरूप उत्तरायण और दक्षिणायन की तरफ झुक जाता है. मंदिर के मंडप के स्तंभों पर अंकित 1101 ईसवीं के शिलालेख हैं. इस मंदिर में स्वयंभूलिंग विराजमान है.
प्रकृति की गोद में बसा है मालेश्वर महादेव मंदिर -
प्रकृति की गोद में बसा यह मनोरम स्थान जयपुर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर है. मंदिर के चारों तरफ प्रकृति मेहरबान है. बारिश में बहते प्राकृतिक झरने, पानी के कुंड, आसपास प्राचीन खंडहर इस स्थान को और भी दर्शनीय बना देते हैं. ऐसे तो यहां हर दिन श्रद्दालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन सावन के महीने में यहां ड़ी संख्या में कांवड़िये शिव जी का अभिषेक (shiv temple in rajasthan) करने पहुंचते हैं.
कई फिल्मों की हुई है यहां शूटिंग -
सामोद और महारकलां गांव की प्राकृतिक सुंदरता के चलते ये जगह पर्यटन स्थल के रूप में बहुत प्रसिद्ध है. इस गांव में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. जिनमें ‘दाता’,’बीस साल बाद’, ‘बंटवारा , ‘करण अर्जुन ’, ‘कोयला’, ‘लोहा’ ,’युगांधर’, ‘सोल्जर’ ,’इतिहास’, ‘मेहंदी’, ‘मैदाने ए जंग’ जैसी फिल्में शामिल हैं. इस मंदिर के आसपास झरना होने की वजह से लोग पिकनिक मनाने भी पहुंचते हैं.
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ऐसे पड़ा मालेश्वर महादेव नाम -
कहा जाता है कि वर्तमान में महारकलां गांव पौराणिक काल में महाबली राजा सहस्रबाहु की माहिष्मति नगरी का हिस्सा हुआ करता था. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा.
मुगलों ने तोड़ दिया था मंदिर -
मंदिर के महंत के अनुसार मुगलों ने इस मंदिर को तोड़ दिया था. उस जमाने में तोड़ी गई शेष-शैया पर लक्ष्मी जी के साथ विराजमान भगवान विष्णु की खण्डित मूर्ति आज भी यहां मौजूद है. मुगलों के मंदिर तोड़ने के बाद कई साल बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. इस पर गुंबद और शिखर का निर्माण (rajasthan temple) करवाया गया.
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