Sawan 2022 Stambheshwar Mahadev Mandir: ताड़कासुर का वध स्थान है महादेव का बसेरा, भक्तों को दर्शन देकर हो जाते हैं गायब

Sawan 2022 Stambheshwar Mahadev Mandir: गुजरात के वडोदरा में एक ऐसा ही विश्‍वविख्‍यात मंदिर (World Famous Temple) है, जो हर रोज गायब हो जाता है और फिर से दिखने लगता है.

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Gaveshna Sharma
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Sawan 2022 Stambheshwar Mahadev Mandir

ताड़कासुर का वध स्थान है महादेव का बसेरा( Photo Credit : News Nation)

Sawan 2022 Stambheshwar Mahadev Mandir: सावन महीने में शिव मंदिरों के दर्शन करना, प्रमुख तीर्थों में जाना बहुत फलदायी होता है. इसलिए सावन महीने में देश के प्रमुख शिव मंदिरों (Shiv Mandir) में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है. इनमें से कई मंदिर प्राचीन हैं और इनसे जुड़े रहस्‍यों के कारण दुनिया भर से लोग इनके दर्शन करने के लिए आते हैं. गुजरात के वडोदरा में एक ऐसा ही विश्‍वविख्‍यात मंदिर (World Famous Temple) है, जो हर रोज गायब हो जाता है और फिर से दिखने लगता है. इस रोमांचक घटना को देखने के लिए रोजाना ही यहां बड़ी संख्‍या में लोग आते हैं. 

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समुद्र में स्थित है यह शिव मंदिर 
भगवान शिव का यह मशहूर मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर समुद्र में स्थित है. मान्‍यता है कि इस मंदिर को शिव जी के पुत्र कार्तिकेय ने स्‍थापित किया था. समुद्र के अंदर मौजूद यह मदिर दिन में 2 बार पानी में डूब जाता है और फिर दिखने लगता है. दरअसल रोजाना इस समुद्र में जलस्‍तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर डूब जाता है और फिर जलस्‍तर घटने पर मंदिर फिर से दिखने लगता है. यह घटना रोज सुबह और शाम को होती है. 

समुद्र करता है शिव जी का अभिषेक 
शिव मंदिर के समुद्र में डूबने और फिर से दिखने की इस घटना को श्रद्धालु समुद्र द्वारा शिव जी का अभिषेक करना कहते हैं. जब समुद्र का जल स्‍तर बढ़ना शुरू होता है, उस समय कुछ देर के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया जाता है. स्कंद पुराण व शिव पुराण की रुद्र संहिता में स्तंभेश्वर तीर्थ को लेकर कहा गया है कि राक्षस ताड़कासुर ने कठोर तपस्या करके शिव जी से वरदान लिया था कि उसका वध केवल शिव जी के पुत्र ही कर सकते हैं. इसके बाद ताड़कासुर के उत्‍पात से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए केवल 6 दिन के कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध किया था. 

इसके बाद जिस स्‍थान पर राक्षस का वध किया था वहीं पर यह शिव मंदिर बनाया गया. बता दें कि इस मंदिर की खोज करीब 150 वर्ष पूर्व ही हुई है. 

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