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हरिद्वार से गंगाजल ले जाने की मिलेगी अनुमति( Photo Credit : @ANI)
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हरिद्वार से गंगाजल ले जाने की मिलेगी अनुमति( Photo Credit : @ANI)
कांवड़ यात्रा को लेकर इस वक्त कई सुप्रीम कोर्ट सख्त रुख अपनाए हुए है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इस खतरनाक दौर में कांवड़ यात्रा को आयोजित करना लोगों की जिंदगी से खेलना होगा. वहीं, इस बीच उत्तराखंड सरकार ने कहा कि कांवड़ मेले के दौरान अगर राज्यों से गंगाजल लाने की मांग होगी तो हम पूरा सहयोग करेंगे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ने कहा कि पानी के टैंकरों के माध्यम से हरिद्वार से गंगाजल ले जाने की अनुमति मिलेगी. बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर रोक लगाया है.
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कावंड़ यात्रा को लेकर राज्य सरकार कांवड़ संघों से बातचीत में जुटी है
कावंड़ यात्रा को लेकर राज्य सरकार कांवड़ संघों से बातचीत में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी ने अफसरों को कोविड महामारी के हालात को देखते हुए कांवड़ संघों से बातचीत करने निर्देश दिए हैं. राज्य सरकार परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए बातचीत कर रही है. कांवड़ संघों की सहमति के आधार पर फैसला लिया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसीएस गृह और डीजीपी को कांवड़ यात्रा के मद्देनजर दूसरे राज्यों से बातचीत स्थापित करने के भी निर्देश दिये हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार का आग्रह स्वीकार करते हुए कांवड़ यात्रा पर 19 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि तय की है.
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परंपरागत रूप से 25 जुलाई से शुरू होने वाली है कांवड़ यात्रा
परंपरागत रूप से 25 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर राज्य सरकार हर स्थिति के हिसाब से तैयारी कर रही है. कोरोना महमारी को देखते हुए सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. इसके लिये अधिकारियों को कांवड़ संघों से बातचीत करने को कहा गया है जिससे यात्रा के आयोजन को लेकर सही फैसला लिया जा सके. बातचीत के दौरान सरकार के अधिकारी कांवड़ संघों को कोरोना की गंभीरता बताते हुए बातचीत कर रहे हैं.
कांवड़ यात्रा को लेकर सरकार का प्रयास है कि धार्मिक भावनाएं भी आहत न हों और महामारी से बचाव भी हो जाए. सावन के महीने में प्रत्येक साल होने वाली धार्मिक यात्रा में प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. यात्रा को लेकर भक्तों में काफी उत्साह रहता है. कोरोना को देखते हुए सरकार पहले से ही काफी सतर्कता बरत रही है. पिछले साल कांवड़ संघों ने सरकार के साथ बातचीत के बाद खुद ही यात्रा स्थगित कर दी थी. सरकार इस बार भी संघों से लगातार बातचीत कर रही है.
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