Jivitputrika Vrat 2022 Puja Samagri aur Vidhi: जीवित्पुत्रिका व्रत की ये सरल पूजा विधि आपके निर्जल व्रत के साथ साथ करेगी आपकी संतान की अखंड सुरक्षा

Jivitputrika Vrat 2022 Puja Samagri aur Vidhi: हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के अलावा जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है.

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Gaveshna Sharma
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Jivitputrika Vrat 2022 Puja Samagri aur Vidhi

जीवित्पुत्रिका व्रत की ये सरल पूजा विधि करेगी आपके बच्चे की अखंड रक्षा( Photo Credit : News Nation)

Jivitputrika Vrat 2022 Puja Samagri aur Vidhi: हिंदू धर्म में पति और संतान की लंबी आयु के लिए कई व्रत किए जाते हैं. इन्हीं में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत. इस व्रत का विशेष महत्व है. हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के अलावा जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. माताएं ये व्रत पुत्र प्राप्ति, संतान के दीर्घायु होने एवं उनकी सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए करती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं जीवितपुत्रिका व्रत की संपूर्ण और सरल पूजा विधि के बारे में. 

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जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 पूजा सामग्री
इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान,  सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है.

जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 पूजा विधि 
- व्रत करने वाली महिलाएं 18 सितंबर की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें.
- स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण कर व्रत-पूजा का संकल्प लें. 
- चूंकि इस व्रत का पालन निर्जला रहकर करना होता है. ऐसे में दिन भर कुछ भी खाएं-पीएं नहीं.
- शाम को गाय के गोबर से पूजन स्थल को लीप दें 
- पूजा स्थल को गोबर से लीपने के बाद शुद्ध स्थान की मिट्टी से छोटा सा तालाब भी बना लें. 
- इस तालाब के निकट एक पाकड़ यानी कि किसी भी पेड़ की डाल लाकर खड़ी कर दें. 
- कुशा अर्थात घास से जिमूतवाहन का पुतला बनाएं और उनकी पूजा करें.उ
- उन्हें धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला आदि चीजें चढ़ाएं.
- इसके बाद मिट्टी या गाय के गोबर से चिल्होरिन यानी कि मादा चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं.
- मूर्ती बनाने के बाद चिल्होरिन और सियारिन के माथे पर लाल सिंदूर लगाएं. 
- अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए दिनभर उपवास कर बांस के पत्तों से पूजा करें.
- पूजा के बाद इस व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें. 
- अगले दिन दान-पुण्य के बाद व्रत का पारण करें. तभी इस व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होगा. 

Ashwin Month 2022 उप-चुनाव-2022 Jivitputrika Vrat 2022
      
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