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Bhagwan Jagannath Ekantvas Rahasya: जब 15 दिनों के लिए भगवान छोड़ देते हैं भक्तों का साथ, जानें क्यों है भगवान जगन्नाथ का रहस्य से भरा एकांतवास

आज से आषाढ़ माह शुरू हो चुका है. आषाढ़ का महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. जिसका एक कारण उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ भगवान की भव्य रथ यात्रा भी है. इस बार यह भव्य रथ यात्रा 1 जुलाई 2022 को निकाली जाएगी.

Updated on: 15 Jun 2022, 03:53 PM

नई दिल्ली :

Bhagwan Jagannath Ekantvas Rahasya: 1 जुलाई 2022 को पुरी में जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा निकाली जाएगी. इससे 15 दिन पहले यानी कि कल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम गृर्भग्रह से बाहर आते हैं और पूर्णिमा स्नान के बाद शाम को श्रंगार के बाद 15 दिन के लिए वे एकांतवास में चले जाते हैं. भगवान जगन्नाथ 1 जुलाई को रथयात्रा के लिए बाहर आएंगे, तब तक मंदिर में दर्शन बंद रहेंगे. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण ही जगन्नाथ के नाम से विराजमान हैं. यहां उनके साथ उनके ज्येष्ठ भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा भी हैं. आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को शुरू होने वाली रथयात्रा में रथ को किसी मशीन या जानवर के द्वारा नहीं बल्कि भक्तों द्वारा खींचा जाता है. पुरी में भगवान जगन्नाथ के अलावा बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं काष्ठ की बनी हुई हैं. 

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108 घड़ों से कराया जाता है स्नान
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर भगवान की मूर्तियों को गर्भगृह से स्नान मंडप में लाया जाता है और वैदिक मंत्रों के साथ 108 घड़ों से भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है. खास बात ये है कि इस पानी में कई तरह की औषधियां मिलाई जाती है.सुंगधित फूल, चंदन, केसर, कसतूरी को पानी में मिलाया जाता है.

क्यों जाते हैं भगवान एकांतवास में
माना जाता है पूर्णिमा स्नान में ज्यादा पानी से नहाने के कारण भगवान बीमार हो जाते हैं. इसलिए एकांत में उनका उपचार किया जाता है. इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती है. बीमारी में भगवान को सादे भोजन का ही भोग लगाया जाता है. भगवान की सेहत खराब होने की वजह से ही 15 दिन भक्तों के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं.

बीमारी से उभरकर यात्रा पर निकलेंगे भगवान
स्वास्थ ठीक होने के बाद भगवान आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि यानी कि 1 जुलाई 2022 को रथ यात्रा पर निकलेंगे. तीन रथ पर विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपनी मौसी के यहां गुंडिचा मंदिर जाएंगे. वहां सात दिनों के आराम के बाद दशमी तिथि पर भगवान मुख्य मंदिर लौटेंगे.