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Holi 2022 Holika Dahan Shubh Muhurt and Puja Vidhi: होलिका दहन पर सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त का बन रहा है योग, इस विधिवत पूजा से खुल जाएंगी सफलता की दसों दिशाएं

होली (Holi 2022) को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन होलिका दहन किया जाता है जबकि दूसरे दिन गुलाल-अबीर से होली खेली जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और उससे जुड़ी रोचक कहानियां.

Updated on: 02 Mar 2022, 04:43 PM

नई दिल्ली :

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है. शास्त्रों में फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है. धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान कर उपवास रखने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है. साथ ही बुराई पर अच्छाई का दिन भी है यानि कि इस दिन होलिका दहन किया जायेगा. होलिका का ये त्योहार बहुत पुराने समय से मनाया जा रहा है. होली (Holi 2022) को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन होलिका दहन किया जाता है जबकि दूसरे दिन गुलाल-अबीर से होली खेली जाती है. इस बार होली 17-18 मार्च को मनाई जाएगी. 

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होलिका दहन कथा (Holika Dahan 2022 Katha) 
जहां एक तरफ, जैमिनी सूत्र में इसका आरम्भिक शब्दरूप 'होलाका' बताया गया है. वहीं हेमाद्रि, कालविवेक में होलिका को 'हुताशनी' कहा गया है. वहीं, भारतीय इतिहास में इस दिन को भक्त प्रहलाद की जीत से जोड़कर देखा जाता है. शास्त्रों में इस दिन होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा दी गई है. लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादाभक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार  फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है.

कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती. भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ. इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. होलिकादहन के समय ऐसी परंपरा भी है कि होली का जो डंडा गाडा जाता है, उसे प्रहलाद के प्रतीक स्वरुप होली जलने के बीच में ही निकाल लिया जाता है.

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होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2022 Shubh Muhurat)
होली शुक्रवार, मार्च 18, 2022 को
होलिका दहन बृहस्पतिवार, मार्च 17, 2022 को 
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- मार्च 17, 2022 को 01:29pm बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- मार्च 18, 2022 को 12:47pm बजे 

होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan 2022 Puja Samagri)
- एक कटोरी पानी
- गाय के गोबर से बनी माला
- रोली
-अक्षत 
-अगरबत्ती और धूप
-फूल
-कच्चा सूती धागा
- हल्दी  के टुकड़े
- मूंग की अखंड दाल
- बताशा
-गुलाल पाउडर
-नारियल
- नया अनाज जैसे गेहूं 

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होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vibhi 2022)
- पूजा की सारी सामग्री एक प्लेट में रख लें. पूजा थाली के साथ पानी का एक छोटा बर्तन रखें. पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. उसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप पानी छिड़कें और 'ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु' मंत्र का तीन बार जाप करें.  
- अब दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें. 
- फिर दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर गणेश जी का स्मरण करें. 
- भगवान गणेश की पूजा करने के बाद, देवी अंबिका को याद करें और 'ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि' मंत्र का जाप करें. मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर देवी अंबिका को सुगंध सहित अर्पित करें. 
- अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें. मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर भगवान नरसिंह को चढ़ाएं. 
- अब होलिका के आगे खड़े हो जाए और हाछ जोड़कर प्रार्थना करें. इसके बाद होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और सूखे गाय के गोबर से बनी माला जिसे गुलारी और बड़कुला भी कहा जाता है  अर्पित करें. होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे जाते हैं. इसके बाद होलिका के ढेर के सामने पानी के बर्तन को खाली कर दें. 
- इसके बाद होलिका दहन किया जाता है. लोग होलिका के चक्कर लगाते हैं. लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और अलाव में नई फसल चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.