Holi 2022 Holashtak: होलाष्टक में जाग जाती है दुर्भाग्य की रेखा, तिथि से लेकर जानें 8 दिन की शारीरिक यातनाओं का सच
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक (Holashtak 2022) लग जाता है. ऐसे में आज हम आपको होलाष्टक से जुड़ी बारीख से बारीख बात बताने जा रहे हैं. जिसमें होलाष्टक की तिथि से लेकर 8 दिन की शारीरिक यातनाओं का सच शामिल है.
नई दिल्ली :
हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है. साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली (Holi 2022) ही होता है है. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस बार होली 17-18 मार्च की है. वहीं, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक (Holashtak 2022) लग जाता है. होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है. इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा. ऐसे में आज हम आपको होलाष्टक से जुड़ी बारीख से बारीख बात बताने जा रहे हैं. जिसमें होलाष्टक की तिथि से लेकर 8 दिन की शारीरिक यातनाओं का सच शामिल है.
फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन (Holika Dahan) तक आठ दिनों तक होलाष्टक (Holashtak) के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इन आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन देवी-देवताओं की अराधना के लिए ये दिन बहुत ही श्रेष्ठ माने जाते हैं. होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली के आठ दिन. पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है.
होलाष्टक की भयावय कथा
होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि राजा हिरण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे, और इसके लिए उन्होंने इन आठ दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं. इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया, लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए. अतः ऐसे में इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है. इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है. इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है.
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होलाष्टक में इन कार्यों को करने से बचें
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है. होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं. यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है. एक मान्यता अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए.
होलाष्टक में ऐसे करें आराधना
एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है. वहीं, यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है. होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है. इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है.
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