/newsnation/media/post_attachments/images/2023/06/25/guru-59.jpg)
Guru Purnima 2023( Photo Credit : social media )
Guru Purnima 2023 : गुरुब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:…हिंदू धर्म में इस मंत्र का बहुत खास महत्व है. इस मंत्र का आशय है कि गुरु भगवान से भी ऊंचा है, क्योंकि वह पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान प्रदान करता है. बता दें, इस बार दिनांक 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है. यह पर्व वेद व्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. वेदव्यास, जिन्होंने संसार के सबसे पहले गुरु हैं और पुराणों के माध्यम से सनातन धर्म से जुड़ी जानकारियां हन तक पहुंचाकर ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता को दूर किया है. इसलिए इस दिन वेद व्यास जी के पूजन के साथ-साथ अपने गुरु की भी खास पूजा करनी चाहिए. इनके आशीर्वाद से व्यक्ति को सफलता की प्राप्ति होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा के बारे में विस्तार से बताएंगे.
ये भी पढ़ें - Savan Maas 2023 : सावन माह में करें ये ज्योतिष उपाय, मिलेगी कर्ज से मुक्ति, धन-धान्य की होगी प्राप्ति
गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन वेद व्यास का जन्म हुआ था. इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि गुरु को हमने ब्रह्मा, विष्णु और रूप में माना है. गुरु शब्द, गु और रु से मिलकर बना है. जिसमें गु का अर्थ अंधकार से है और रु का अर्थ हनन से है. यानी कि हमारे मन, मस्तिष्क में अज्ञानता और अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश को पैदा करने वाले को गुरु कहा जाता है.
गुरु के आशीर्वाद से शिष्य का जीवन सफल हो जाता है. इसलिए गुरु को भगवान के समान माना गया है. प्राचीन समय में गुरु शिष्य का परीक्षण करते थे और शिष्य भी गुरु का परीक्षण करता है. उसके बाद ही गुरु शिष्य को चुनता है. वहीं प्राचीनकाल में हमने एकलव्य की कहानी सुनी थी, जिसमें उन्होंने किस तरह अपने द्रोणाचार्य के लिए अपना अंगूठा काट लिया था. उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा करें और एक थाली में साफ पानी लेकर अपने गुरु के पैर धोएं और उस पानी को अपने मस्तक पर लगाएं. उसके बाद सच्चे मन से गुरु का पूजन करने वाले को आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.
वहीं, हिंदू पुराणों में कहा गया है कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु और बड़ों का आशीर्वाद लेना व्यक्ति के लिए परम सौभाग्य की बात होती है. इस दिन महर्षि वेद व्यास और अपने गुरु के पूजन के साथ-साथ बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूर करना चाहिए. इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए. इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है.