Gangaur Puja 2024 Date & Time: कब रखा जाएगा गणगौर का व्रत, ये है इसकी सही पूजा विधि 

Gangaur Puja 2024 Date & Time: गणगौर पर्व 11 अप्रैल को मनाया जाएगा. यह त्यौहार मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. यह त्यौहार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं.

Gangaur Puja 2024 Date & Time: गणगौर पर्व 11 अप्रैल को मनाया जाएगा. यह त्यौहार मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. यह त्यौहार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं.

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Inna Khosla
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Gangaur Puja 2024 Date   Time

Gangaur Puja 2024 Date & Time( Photo Credit : social media)

Gangaur Puja 2024 Date & Time: गणगौर पूजा राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह का प्रतीक है. साल 2024 में गणगौर की पूजा 11 अप्रैल, गुरुवार को की जाएगी. यह त्योहार 16 दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत 25 मार्च से हो चुकी है. इस त्योहार के दौरान महिलाएं देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. महिलाएं गणगौर माता के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं. कई जगहों पर मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं. ये त्योहार देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह का प्रतीक है. सुहागिन महिलाओं के लिए गणगौर का विशेष महत्व होता है. महिलाओं को सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है. सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी ये महत्वपूर्ण है. 

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गणगौर पूजा के कुछ मुख्य कार्यक्रम:

घट स्थापना: गणगौर पूजा के पहले दिन महिलाएं अपने घरों में घट स्थापित करती हैं.

गणगौर माता की पूजा: महिलाएं गणगौर माता की पूजा करती हैं और उन्हें फल, फूल और मिठाई चढ़ाती हैं.

गणगौर माता के गीत: महिलाएं गणगौर माता के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं.

गणगौर मेला: इस त्योहार के दौरान कई मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं.

गणगौर व्रत की पूजा विधि

व्रत रखने से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि कलश, मूर्तियां, दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई आदि इकट्ठा करें. एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कलश स्थापित करें. कलश में जल, गंगाजल, चावल, सुपारी, नारियल, सिक्का आदि डालें. कलश के मुख पर आम के पत्ते और कलावा बांधें. कलश के चारों ओर दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं.

देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों को स्थापित करें. मूर्तियों को स्नान कराएं और उन्हें नए कपड़े पहनाएं. मूर्तियों को फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें. दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं. देवी पार्वती और भगवान शिव की आरती करें. 

गणगौर व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. पूरे दिन व्रत रखें और जल का सेवन करें. सूर्यास्त के बाद व्रत खोलें. अगले दिन गणगौर की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित करें.  गणगौर व्रत की पूजा विधि आपको देवी पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करेगी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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