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Ganesh Jayanti 2023 : गणेश जयंती के दिन बन रहा है बेहद अद्भुत संयोग, दूर होंगे सारे दोष

दिनांक 25 जनवरी 2023 को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंति है.

Updated on: 24 Jan 2023, 01:26 PM

नई दिल्ली :

Ganesh Jayanti 2023 : दिनांक 25 जनवरी 2023 को माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत रखने का विशेष विधि-विधान है. बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. अब ऐसे में गणेश जयंती भी बुद्धवार के दिन ही है, तो इस अवसर पर बेहद खास संयोग बना है. जैसे कि रवि योग,शिव योग, परिघ योग. इस दिन गणपति को उनका मनपसंद भोग अर्पित करने से आपको हर काम में सफलता मिलेगी. आपके उन्नति के सभी द्वार खुल जाएंगे. इसके साथ ही आपको मां लक्ष्मी के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होगी. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि गणेश जयंती के दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं, इसके अलावा भगवान गणेश को क्या भोग लगाएं.

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इस दिन बन रहा है रवि योग 
गणेश जयंती के दिन रवि योग बन रहा है. रवि योग का शुभ समय सुबह 07 बजकर 13 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. इस दिन गणपति पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 29 मिनट से लकर दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इसलिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा रवि योग के समय ही करें. 

इस दिन भगवान गणेश को लगाएं ये भोग, सारी मनोकामना होंगी पूर्ण

1.गणेश जयंती के दिन आप गणपति बप्पा को मोदक का भोग जरूर लगाएं, क्योंकि भगवान गणेश का ये सबसे प्रिय मिठाई है. मोदक का भोग लगाने से घर में सुक-समृद्धि आती है. 

2. भगवान गणेश को केले का भोग लगाएं. गणपति जी को ये भी बेहद प्रिय है. केला अगर आप भोग लगा रहे हैं, तो ध्यान रहे कि केला जोड़े में ही भोग लगाएं. 

3.भगवान गणेश को मखाने की खीर भी आप भोग लगा सकते हैं. इससे मां लक्ष्मी भी बेहद प्रसन्न होती हैं और आपके घर धन, संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. 

4.भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए केसर से निर्मित श्रीखंड का भोग लगाएं. 

5.गणेश जी को बेसन का लड्डू भोग लगाएं या फिर मोतीचूर के लड्डू भोग लगाएं. इसके अलावा आप भगवान गणेश को सीताफल, अमरूद, बेल या फिर जामुन का भोग लगा सकते हैं. 

इस मंत्र का करें जाप

1.॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥

2.गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

3.॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

4.महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

5.'ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे'

6.'ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।'

7.ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।