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Ganesh Chaturthi 2025:गणेश चतुर्थी के मौके पर घरों और पंडालों में बप्पा की सुंदर मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. गणपति बप्पा मोरया का जयकारा श्रद्धा से लगाया जाता है. लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी. इस खास मौके पर गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाया जाता है. ये त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसे पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है. ढोल-ताशों की गूंज, मिठाइयों की खुशबू और भक्तिरस में डूबे भजन वातावरण को और भी पावन बना देते हैं. मुंबई में तो ये उत्सव बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं कि गणेश जी को बप्पा क्यों कहते हैं.
क्यों कहते हैं भगवान गणेश को ‘बप्पा’
भगवान गणेश को प्यार से गणपति बप्पा कहा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर उनके नाम के साथ ‘बप्पा’ क्यों जोड़ा जाता है? दरअसल, महाराष्ट्र में पिता को ‘बप्पा’ कहा जाता है. यहां के लोग गणेश जी को पिता मानते हैं. यही कारण है कि उन्हें बप्पा पुकारा जाने लगा. लोकमान्य तिलक ने जब महाराष्ट्र से गणेशोत्सव की शुरुआत की थी, तब ये नाम और भी ज्यादा मशहूर हो गया.
मोरया नाम की है अनोखी कहानी
धीरे-धीरे ये नाम पूरे देश में फैल गया. लेकिन सिर्फ बप्पा ही नहीं, उनके नाम के साथ एक और शब्द जुड़ा है, और वो है ‘मोरया’.ऐसा माना जाता है कि मोरया शब्द का संबंध महाराष्ट्र के चिंचवाड़ गांव से है. लगभग 600 साल पहले यहां मोरया गोसावी नाम के महान गणेश भक्त रहते थे. कहा जाता है कि 1375 ईस्वी में जन्मे मोरया गोसावी को भगवान गणेश का ही अंश माना जाता था.
धीरे-धीरे उनकी भक्ति और ये मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गए. लोग दर्शन के लिए यहां आने लगे और गणेश जी का नाम लेते हुए मोरया का नाम भी जोड़ने लगे. यही कारण है कि आज भी जब लोग भगवान गणेश का जयकारा लगाते हैं, तो गणपति बप्पा मोरया! की गूंज सुनाई देती है. आज इस जयकारे के बिना बप्पा की पूजा अधूरी मानी जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)