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गणेश चतुर्थी का पर्व भारत में बेहद उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है. बप्पा दस दिनों तक लोगों के घर और पंडालों में विराजमान होते हैं. वहीं गणेश चतुर्थी के मौके पर हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. जो कि राजस्थान की राजधानी जयपुर के अरावली पर्वत श्रृंख्ला पर स्थित है. जिसका नाम गढ़ गणेश मंदिर है. इस मंदिर में भक्त बप्पा को चिट्ठी लिखते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में बप्पा बिना सूंड के विराजमान है. आइए आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं.
बाल स्वरूप में पूजा
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान गणेश की मूर्ति बाल रूप में यानी कि बिना सूंड वाले है. वहीं भक्तों का मानना है कि यहां बप्पा 'पुरुषकृति' स्वरूप में विराजमान हैं. यह अद्वितीय स्वरूप भक्तों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का विशेष कारण है.
मूषकों के कान में परेशानी
भगवान गणेश के मंदिर में दो विशाल मूषक चूहे स्थापित हैं. वहीं श्रद्धालु इन मूषकों के कानों में अपनी समस्याएं बताते हैं. मान्यता है कि ये मूषक भक्तों की बात सीधे बप्प तक पहुंचाते हैं और फिर बप्पा उनके कष्ट हर लेते हैं.
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चिट्ठी लिखकर पूरी होती है मन्नत
भक्त अपनी मन्नतें चिट्ठी लिखकर भेजते हैं. इसके अलावा लोग अपनी शादी, घर में बच्चे के जन्म, नई नौकरी या फिर किसी भी शुभ कार्य का निमंत्रण बप्पा को भेजते हैं. इस मंदिर के पते पर रोजाना सैकड़ों चिट्ठियां आती हैं, जिन्हें पढ़कर भगवान के चरणों में रखा जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्तों का मानना है कि गणेश जी उनकी हर पुकार सुनते हैं.
365 सीढ़ियां
मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो साल के 365 दिनों का प्रतीक हैं. यह चढ़ाई थोड़ी थकाऊ हो सकती है, लेकिन मंदिर तक पहुंचते ही जो शांति और सुकून मिलता है, वह हर थकान को दूर कर देता है. यहां से पूरे जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, खासकर सूरज ढलने के समय.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)