भारतीय पुराणों और महाकाव्यों में ऐसे कई पात्र हैं जिनकी कहानियां सिर्फ एक काल या ग्रंथ तक सीमित नहीं रहीं. बल्कि इन पात्रों ने एक से अधिक युग न सिर्फ देखे बल्कि जीए भी. क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे भी रहस्यमय और चमत्कारी पात्र हैं जो रामायण और महाभारत दोनों ही युगों में उपस्थित थे? ये पात्र न सिर्फ दिव्य शक्तियों से संपन्न थे, बल्कि इनकी उपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि भारत का आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कृति कितनी गहराई से जुड़ी हुई है.
दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों के पोस्ट वायरल हो रहा है इसमें उन पात्रों को लेकर दावा है जिन्होंने रामायण और महाभारत दोनों ही काल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. आइए जानते हैं कि वो कौन-कौन से पात्र हैं?
कौन हैं रामायण-महाभारत काल में मौजूद पात्र
1. परशुराम
परशूराम ने रामायण काल में शिवधुष टूटने पर नाराज हो गए थे, हालांकि बाद में उन्होंने श्रीराम से मिलकर उन्हें पहचाना और फिर शांत हुए. वहीं महाभारत काल में भीष्म और कर्ण के गुरु भी थे. इस दौरान उन्होंने दोनों को दिव्यास्त्रों का ज्ञान दिया था. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भी परशुमराम ने भी दिया था.
2. गंगा
गंगा ने भी रामायण और महाभारत दोनों ही काल में मौजूदगी दर्ज कराई है. रामायण में ऋषि विश्वामित्र राम को कहानी सुनाते हैं भागीरथ की तपस्या के कारण देवी गंगा धरती पर आई ताकि पूर्वजों का उद्धार हो. वहीं महाभारत में गंगा ने शांतनु से विवाह किया और भीष्म को समेत 8 पूत्रों को जन्म दिया था.
3. जाम्बवन्त
रामायण में जाम्बवन्त सुग्रीव के सेनापति थे. यही नहीं हनुमान को उनकी शक्ति भी उन्होंने ही याद दिलाई थी कि वह उड़ सकते हैं. वहीं महाभारत में श्रीकृष्ण से जांबवंती के विवाह का प्रसंग भी आता है जो जाम्बवंत की ही पुत्री थी.
4. विभीषण
विभीषण के बारे में तो ज्यादातर लोग जानते हैं कि वह रामायण काल में रावण के भाई थे. उसकी मृत्यु का रहस्य भी उन्होंने ही राम को बताया था. लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि महाभारत में भी विभीषण मौजूद थे. दरअसल घटोत्कच्छ युद्धिष्ठीर के लिए लंका का समर्थन लेने गए थे. इसके बाद युद्धिष्ठीर के राजसूय यज्ञ में विभीषण ने हिस्सा लिया था.
5. महर्षि अगस्त्य
महर्षि अगस्त्य भी रामायण और महाभारत दोनों ही काल में थे. रामायण में यह दंडकारण्य में विंध्य पर्वत के पास रहते थे, उन्होंने भगवान राम को आदित्य ह्यदयम् का ज्ञान दिया था. वहीं महाभारत के सौप्तिकपर्व में भी अगस्त्य का उल्लेख मिलता है, उन्होंने द्रोणाचार्य को ब्रह्मास्त्र जैसे महाशक्तिशाली अस्त्र दिए थे.
6. मायासुर
मायसुर भी दोनों कालों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं. दरअसल मायासुर रावण के ससुर और मंदोदरी के पिता थे. वहीं महाराभारत काल में उन्होंने खांडव वन दहन के बाद अर्जुन और कृष्ण की ओर से जीवनदान देने पर युधिष्ठीर के लिए भव्य सभा सदन का निर्माण किया था.
7 महर्षि भारद्वाज
महर्षि भारद्वाज ने रामायण काल में चित्रकूट में राम और सीता से मुलाकात की थी. जबकि महाभारत काल में उन्होंने द्रोणाचार्य को जन्म दिया. वहीं द्रोणाचार्य जो कौरव औऱ पांडव के शस्त्र विद्या गुरु थे. भारद्वाज ने द्रोणाचार्य को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी थी. महर्षि भारद्वाज के अग्निवेस और पंचाल दो और शिष्य भी थे.
ये पात्र भी दोनों काल में थे
इसके अलावा कुबेर, महादेव-पार्वती, महर्षि दुर्वासा समेत कुछ और भी पात्र हैं जिन्होंने रामायण और महाभारत काल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है.
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