Diwali 2020: आज हर घर में पधारेंगी मां लक्ष्मी, जानें दिवाली पूजा विधि और मुहूर्त
आज देशभर में दिवाली (Diwali 2020) का त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है. मान्यता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसिलए आज विष्णु पत्नि की पूजा का विशेष महत्व है.
नई दिल्ली:
आज देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है. मान्यता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसिलए आज विष्णु पत्नि की पूजा का विशेष महत्व है. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और आर्थिक तंगी से भी मुक्ति मिलती है. आज मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, कुबरे, धन्वतंरि, नवग्रह और मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है.
और पढ़ें: Diwali 2020: मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती के साथ करें दिवाली की पूजा
दिवाली मनाने के पीछे एक और पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके मुताबिक, आज ही के दिन प्रभु श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या पधारें थे. भगवान राम के आने की खुशी में पूरे अयोध्यावासी ने घी और तेल के दीए जलाए थे, तब से ही दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई थी. यहीं वजह है कि दिवाली पर लोगों अपने घरों को दीए से रौशन करते हैं और पूरे हर्षोंल्लास के साथ ये त्योहार मनाते हैं.
दिवाली पूजा विधि-
लक्ष्मी पूजा : 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:24 तक लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. 14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होगा.
वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात 7:24 बजे तक वृषभ काल मुहूर्त होगा.
लक्ष्मी पूजा 2020: चौघड़िया मुहूर्त
14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 बजे तक, उसी दिन शाम को 05:28 से शाम 07:07 बजे तक, रात में 08:47 से देर रात 01:45 बजे तक और अगले दिन प्रात: 05:04 से 06:44 बजे तक चौघड़िया मुहूर्त होगा.
लक्ष्मी पूजा 2020 मुहूर्त गृहस्थों के लिए
14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक गृहस्थों के लिए लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त होगा.
प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 बजे तक होगा.
वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात्रि 7:24 बजे तक रहेगा.
सिंह लग्न मुहूर्त: 14 नवंबर की मध्य रात्रि 12:01 से देर रात 2:19 बजे तक रहेगा.
पूजा सामग्री
दिवाली की पूजा के लिए गणेश-लक्ष्मी की नई प्रतिमा, लाल वस्त्र, पान का पत्ता, पांच सुपारी, रोली, सिंदूर, अक्षत, फूल, फल, कलश, मिठाई, खील-बताशे, कलावा, अगरबत्ती, दीपक, चंदन का इस्तेमाल करें.
पूजा की विधि
सबसे पहले चौकी को धोकर उसके ऊपर रंगोली बनाएं. हल्दी से भी रंगोली बना सकते हैं. चौकी के ऊपर गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर उन्हें नए कपड़े पहनाएं. फिर रोली-चंदन और सिंदूर का टीका लगाकर फिर अक्षत लगाएं. फूल, फल, पान, चांदी का सिक्का, मिठाई और अन्य सामग्री अर्पित कर गणेश की पूजा करें. भगवान गणेश की आरती पहले करें और फिर मां लक्ष्मी की आरती करें. इसके बाद फिर मां लक्ष्मी की अराधना करें और मंत्रों का जाप करें. भोग लगाने के बाद सभी को प्रसाद बांटें.
मंत्र-
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:, ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:, ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ कामलक्ष्म्यै नम:,
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:, ॐ योगलक्ष्म्यै नम:.
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
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