Devshayani Ekadashi 2022 Vardaan aur Vachan: जब अपने स्वामी भगवान विष्णु को पुनः पाने के लिए माता लक्ष्मी ने लिए था राजा बली से वचन
जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि मांगी, तब दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को श्री हरि ने नाप दिया और जब तीसरा पग रखने लगे तब बलि ने अपना सिर आगे रख दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा.
नई दिल्ली :
Devshayani Ekadashi 2022 Vardaan aur Vachan: 10 जुलाई 2022 को आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी को देवशयनी एकादशी है. इस दिन के बाद भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे. फिर 4 नवंबर 2022 को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथी यानी कि देवउठनी एकादशी पर जागेंगे. देवप्रबोधिनी/ देवशयनी एकादशी से चातुर्मास लग जाते हैं जिसमें मांगलिक कार्य जैसे शादी, मुंडन, गृहप्रवेश, उपनयन संस्कार करना वर्जित होता है. इन चार महीनों में शुभ कार्य करने से अशुभ फल की प्राप्ती होती है.
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ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक अन्य प्रसंग में एक बार 'योगनिद्रा' ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और उनसे प्रार्थना की -'भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दीजिए'. लेकिन श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिष्ठित है. इस तरह का विचार कर श्री विष्णु ने अपने नेत्रों में योगनिद्रा को स्थान दे दिया और योगनिद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष में चार मास मेरे आश्रित रहोगी.
राजा बलि ने मांगा था ये वरदान
गरुड़ध्वज जगन्नाथ के शयन करने पर विवाह, यज्ञोपवीत, संस्कार, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, गोदान, गृहप्रवेश आदि सभी शुभ कार्य चार्तुमास में त्याज्य हैं. इसका कारण यह है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि मांगी, तब दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को श्री हरि ने नाप दिया और जब तीसरा पग रखने लगे तब बलि ने अपना सिर आगे रख दिया. भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रसन्न होकर उनको पाताल लोक दे दिया और उनकी दानभक्ति को देखते हुए वर मांगने को कहा. बलि ने कहा -'प्रभु आप सभी देवी-देवताओं के साथ मेरे लोक पाताल में निवास करें.' और इस तरह श्री हरि समस्त देवी-देवताओं के साथ पाताल चले गए, यह दिन एकादशी (देवशयनी) का था. इस दिन से सभी मांगलिक कार्यों के दाता भगवान विष्णु का पृथ्वी से लोप होना माना गया है.
मां लक्ष्मी ने राजा बलि से लिया था वचन
भगवान के पाताल लोक में जाने से सभी देवी-देवता और देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं. अपने पति को वापस लाने के लिए मां लक्ष्मी गरीब स्त्री का रुप धारण कर राजा बलि के पास पहुंच गई. राजा बलि को राखी बांधकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें भाई बना लिया और बदले में भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापस ले जने का वचन ले लिया. भगवान ने राजा बलि को निराश न करते हुए ये वरदान दिया कि वो हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी कि चार माह तक पाताल लोक में योगनिद्रा में निवास करेंगे.
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