Devshayani Ekadashi 2022 Dharmik and Scientific Mystery Of Rice: देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को है. भगवान श्री नारायण की प्रिय हरिशयनी एकादशी या फिर कहें देवशयनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत आदि पर अगले चार मास के लिए विराम लग जायेगा. इसी दिन से सन्यासी लोगों का चातुर्मास व्रत आरम्भ हो जाता है. धार्मिक दृष्टि से ये चार महीने भगवान विष्णु के निद्राकाल माने जाते हैं. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार इस दौरान सूर्य व चंद्र का तेज पृथ्वी पर कम पहुंचता है, जल की मात्रा अधिक हो जाती है, वातावरण में अनेक जीव-जंतु उत्पन्न हो जाते हैं, जो अनेक रोगों का कारण बनते हैं. इसलिए साधु-संत, तपस्वी इस काल में एक ही स्थान पर रहकर तप, साधना, स्वाध्याय व प्रवचन आदि करते हैं. इन दिनों केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है, क्योंकि इन महीनों में भूमण्डल के समस्त तीर्थ ब्रज में आकर वास करते हैं.
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एकादशी में चावल न खाने का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए, इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है. जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी, इसलिए इनको जीव रूप मानते हुए एकादशी को भोजन के रूप में ग्रहण करने से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से विष्णु प्रिया एकादशी का व्रत संपन्न हो सके.
चावल न खाने का ज्योतिषीय कारण
एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय कारण भी है. ज्योतिष के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है. ऐसे में चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है और इससे मन विचलित और चंचल होता है. मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. चूंकि एकादशी व्रत में मन का पवित्र और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है, इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाने की मनाही है.
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सभी एकादशियों को श्री नारायण की पूजा की जाती है, लेकिन इस एकादशी को श्री हरि का शयनकाल प्रारम्भ होने के कारण उनकी विशेष विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. पदम् पुराण के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन कमललोचन भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करने से तीनों लोकों के देवताओं का पूजन हो जाता है.