logo-image

Christmas Day 2020: 25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं क्रिसमस डे, जानें क्या है सांता क्लॉज की कहानी

आज यानि की शुक्रवार को पूरी दुनिया में क्रिसमस डे (25 December) का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है. ईसाईयों और इस धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए आज के दिन का खास महत्व होता है.

Updated on: 25 Dec 2020, 10:06 AM

नई दिल्ली:

आज यानि की शुक्रवार को पूरी दुनिया में क्रिसमस डे (25 December) का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है. ईसाईयों और इस धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए आज के दिन का खास महत्व होता है. दरअसल, मान्यता है कि आज प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था, इसी की खुशी में लोग चर्च में विशेष प्रार्थना करते हैं. इसके अलावा 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस ट्री सजाते हैx और एक दूसरे को उपहार देते हैं. 

और पढ़ें: 25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं क्रिसमस डे, जानें क्या है सांता क्लॉज की कहानी

प्रभु ईसा मसीह की जन्मतिथि की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाया जाता है.  इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ. यीशू के जन्मदिन का आधिकारिक तौर पर रोमन कैलंडर के अनुसार पहली बार 336 इसवीं को 25 दिसम्बर के दिन मनाया गया. इसके  बाद से हर साल 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाया जाने लगा. 

यीशू का जन्म और इतिहास

बाइबिल के मुताबिक, येशु के जन्म से पहले ये भविष्यवाणी हो गयी थी कि धरती पर एक ईश्वर का पुत्र जन्म लेगा, जो दुनिया का उद्धार करेगा. यीशू का जन्म एक गौशाला में हुआ था, जिसकी पहली खबर गडरियो को मिली थी और उसी समय एक तारे ने ईश्वर के जन्म की भविष्यवाणी को सत्य किया. 30 वर्ष की आयु तक उन्होंने कई जगहों पर घूमकर लोगों की सेवा की. उनके अदृभुत चमत्कारों हर कोई मुरीद था. यीशू को उनकी मृत्यु का भी पूर्वाभास हो गया था और उन्होंने अपने अनुयायियो को ये सब बात बताई थी. उन्होंने क्रूस पर झूलते हुए भी उनको मारने वाली लोगों के लिए ईश्वर से प्राथना मांगी थी कि प्रभु इन्हें क्षमा कर देना, ये नादान हैं.

विश्व के लगभग सौ देशों में मनाया जाता है क्रिसमस

विश्व के लगभग सौ देशों में क्रिसमस का त्यौहार बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. अमेरिका में 1870 से क्रिसमस के दिन को राजकीय अवकाश रखा जाता है. इस दिन को ईसाईयों के साथ सभी धर्मों के लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं.

 क्रिसमस ट्री सजाने के पीछे की कहानी

क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले हुई थी. उस वक्त फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था. धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन बढ़ने लगा. हर कोई इस मौके पर पेड़ लगाने लगा. एक कहानी और है कि ईसा मसीह के जन्म के वक्त सभी देवताओं ने सदाबहार वृष को सजाया. तभी से इस पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाता है.

जानें सांता क्लॉज (Santa Claus) की कहानी

क्रिसमस डे के खास मौके पर बच्चों समेस सभी को सांंता क्लॉज का बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं की आखिर क्या है सांता की कहानी. एक प्रचलित कहानी की मुताबिक, संत निकोलस का जन्म 340 ईस्वी की 6 दिसंबर को हुआ था. बताया जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता का निधन हो गया था. बड़े होने के बाद वह एक पादरी बन गए. उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था. कहा जाता है कि वह रात में बच्चों को इस लिए गिफ्ट देते थे ताकि कोई उन्हें देख न सके. मान्यता है कि आगे चलकर यही संत निकोलस बाद में सांता क्लॉज बन गए.