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Chhath Puja 2020: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें मुहूर्त और महत्व

छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है. आज तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है.

Updated on: 20 Nov 2020, 09:10 AM

नई दिल्ली:

छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है. आज तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देना तो कई व्रतों और त्योहारों में होता है, मगर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति सिर्प छठ पर्व में ही है. सूर्य को अर्घ्य देने से पहले बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा के सामान को सजाते हैं. सूर्यास्त से ठीक पहले सूर्य देव की पूजा की जाती है और फिर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. साथ ही पांच बार परिक्रमा की जाती है.

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क्‍यों देते हैं डूबते सूर्य को अर्घ्‍य?

पौराणिक मान्यताएं हैं कि संध्याकाल में भगवान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं.  इसलिए शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है. प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से लाभ मिलता है. छठ पूजा में शाम को सूर्य की आखिरी किरण प्रत्यूषा (सूर्य की पत्नी) को अर्घ्य देकर उनकी उपासना करते हैं. मान्यता यह है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ होता है.

कहा यह भी है कि संध्या अर्घ्य और सूर्य की उपासना से जीवन में तेज बना रहता है. यश, धन और वैभव की भी प्राप्ति होती है. उधर, ज्योतिषियों की मानें तो डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इससे सेहत से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो कहा जाता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.

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संध्या अर्घ्य ऐसे दिया जाता है-

संध्या अर्घ्य देने के लिए जल में दूध मिलाते हैं. टोकरी को फल और ठेकुवा आदि सजाया जाता है और फिर सूर्य देव की उपासना की जाती है. यह कोशिश करें कि जब अर्घ्य दे रहे हों तो सूर्य का रंग लाल हो. उपासना और अर्घ्य के बाद अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना भी कर सकते हैं.

सांध्य अर्घ्य का मुहूर्त:-

छठ पूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ- 19 नवंबर रात 9:59 बजे से
संध्या सूर्य अर्घ्य- 20 नवंबर
सूर्योदय- 6:45 बजे और सूर्यास्त- 5:25 बजे.