Chanakya Niti: बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए आचार्य चाणक्य की इन बातों का रखें याद
Chanakya Niti: चाणक्य का कहना है कि माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों में संस्कार शुरू से ही दें. चाणक्य ने चाणक्य नीति में बच्चों को गुणवान और संस्कारवान बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं.
highlights
- बच्चा 5 वर्ष की आयु के बाद अच्छे और बुरे का अंतर समझने लगता है: आचार्य चाणक्य
- 16 साल की उम्र होने पर बच्चे को डांटना और मारना बंद कर देना चाहिए: आचार्य चाणक्य
नई दिल्ली:
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के मुताबिक एक गुणवान व्यक्तित्व के निर्माण में शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कारों का होना बेहद आवश्यक है. उनका मानना है कि बिना संस्कारों के शिक्षा प्रभावी नहीं हो सकती है. यही वजह है कि संस्कार का बीज बच्चों में शुरू से ही डालने का प्रयास किया जाना चाहिए. चाणक्य का कहना है कि माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे शुरुआत से अपने बच्चों में संस्कार दें. चाणक्य ने चाणक्य नीति में बच्चों को गुणवान और संस्कारवान बनाने के लिए कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई हैं. उनका कहना है कि माता-पिता को इन सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए. 'पांच वर्ष लौं लालिये, दस लौं ताड़न देइ, सुतहीं सोलह बरस में, मित्र सरसि गनि लेइ.' आचार्य चाणक्य ने इस दोहे के जरिए ने माता-पिता को यह बताने की कोशिश की है अमुक उम्र में बच्चे के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए.
यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: अपमानित होकर जीने से लाख गुना अच्छा है मनुष्य का मर जाना
पांच वर्ष तक की उम्र तक बच्चे को प्यार और दुलार देना चाहिए: आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के मुताबिक पांच वर्ष तक की उम्र तक बच्चे को प्यार और दुलार देना चाहिए. उनका कहना है कि इस उम्र तक बच्चा अबोध और बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है. उनका कहना है कि बच्चा इस उम्र में सभी चीजों को बेहद सूक्ष्म तरीके से देखता और समझता है. यही नहीं वह उन चीजों के बारे में ज्यादा से ज्यादा उत्सुक रहता है. बच्चा इस उम्र जानबूझकर शरारत नहीं करता है. चाणक्य के अनुसार ऐसे बच्चों की शरारत को गलती की संज्ञा नहीं दे सकते.
यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: चाणक्य नीति की इन 10 बातों को अपनाएं, जीवन में कभी नहीं होगी हार
5 वर्ष की आयु के बाद अच्छे और बुरे का अंतर समझने लगता है बच्चा
आचार्य चाणक्य का कहना है कि बच्चा 5 वर्ष की आयु के बाद अच्छे और बुरे का अंतर समझने लगता है. उनका कहना है कि गलती होने पर उस बच्चे को डांटा जा सकता है. चाणक्य कहते हैं कि 10 वर्ष से लेकर 15 साल के बीच की आयु में हठ करना भी सीख जाता है. वह बच्चा इस आयु में कई गलत काम को करने की जिद कर सकता है. उनका कहना है कि माता-पिता के द्वारा इस अवस्था में बच्चे के साथ सख्त व्यवहार किया जा सकता है. हालांकि चाणक्य का कहना है कि 16 साल की उम्र होने पर बच्चे को डांटना और मारना बंद कर देना चाहिए. उनका कहना है कि इस उम्र के बच्चे को अपना दोस्त बनाना चाहिए और अगर वह कोई गलती करे तो उसे दोस्त की तरह समझाना चाहिए. चाणक्य के अनुसार माता-पिता बच्चे के सामने जैसा व्यवहार करते हैं बच्चा उसे वैसा ही ग्रहण कर लेता है. ऐसे में बच्चे के सामने भाषा और वाणी के संयम का पूरा ध्यान रखना चाहिए.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति
-
भारत के इस मंदिर में नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री, यहां होते हैं कई तांत्रिक अनुष्ठान
-
Mars Transit in Pisces: 23 अप्रैल 2024 को होगा मीन राशि में मंगल का गोचर, जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी से पहले जरूर करें 10 बार स्नान, सफलता मिलने में नहीं लगेगा समय