Chaitra Navratri 2022, Famous Durga Mata Temples Live Darshan: नवरात्रि के महा पर्व पर करें माता के दिव्य दर्शन, इन मंदिरों में बसा है मां का रहस्यमयी चमत्कार

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि शुरू होने में मात्र 3 दिन ही शेष रह गए हैं. ऐसे में आज हम माता के सभी भक्तों को माता के दिव्य दर्शन करवाएंगे. साथ ही मां दुर्गा के दिव्य रूपों के रहस्यमयी मंदिर की घर बैठे यात्रा भी करवाएंगे.

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि शुरू होने में मात्र 3 दिन ही शेष रह गए हैं. ऐसे में आज हम माता के सभी भक्तों को माता के दिव्य दर्शन करवाएंगे. साथ ही मां दुर्गा के दिव्य रूपों के रहस्यमयी मंदिर की घर बैठे यात्रा भी करवाएंगे.

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Gaveshna Sharma
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यहां करें माता के दिव्य दर्शन, जानें इन मंदिरों का रहस्यमयी आकर्षण

यहां करें माता के दिव्य दर्शन, जानें इन मंदिरों का रहस्यमयी आकर्षण ( Photo Credit : Social Media)

Chaitra Navratri 2022, Famous Durga Mata Temples Live Darshan: चैत्र नवरात्रि शुरू होने में मात्र 3 दिन ही शेष रह गए हैं. 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का भव्य पर्व आरंभ हो जाएगा. नौ दिनों के इस त्यौहार में समूचा भारत भक्ति की गहरी धारा में बहता नजर आने वाला है. जहां एक ओर घर घर में माता के जयकारे और माता के भजनों की गूँज होगी. वहीं, दूसरी ओर माता के दर्शनों के लिए मंदिरों में भीड़ लबालब उतरेगी. ऐसे में आज हम माता के सभी भक्तों को माता के दिव्य दर्शन करवाएंगे. साथ ही मां दुर्गा के दिव्य रूपों के रहस्यमयी मंदिर की घर बैठे यात्रा भी करवाएंगे. 

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वैष्णों देवी मंदिर, कटरा
वैष्णों देवी मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है. यहां वैष्णों देवी माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है. माता वैष्णों देवी मंदिर का निर्माण लगभग 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था. मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर, कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है. यहां हर साल लाखों तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं करते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा यहां चट्टानों के रूप में गुफा के अंदर निवास करती हैं.  

नैना देवी मंदिर
नैनीताल स्थित नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर अत्यंत प्राचीन है और 1880 में भूस्खालन से यह मंदिर नष्टत हो गया था, लेकिन बाद में इस मंदिर का निर्माण फिर से किया गया. देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल है और इसी कारण यहां देवी के चमत्कार देखने को मिलते हैं. नैना देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखते हैं. इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं इसलिए मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से नेत्र से जुड़ी समस्याएं लोगों की दूर हो जाती है. 

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, उदयपुर (त्रिपुरा)
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, त्रिपुरा के अत्यंत लोकप्रिय मंदिरों में से एक है. हिंदू पौराणिक कथा अनुसार, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर माँ काली के 51 शक्ति पीठों में से एक है. इस मंदिर में माँ काली के 'सोरोशी' रुप की पूजा की जाती है. मंदिर का स्वरुप कछुआ या कुर्मा के आकार जैसा दिखता है और इसलिए इसे 'कुर्मा पीठ' कहते हैं. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की पूर्वी दिशा में कल्याण सागर झील स्थित है. मंदिर के गर्भगृह में काले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित दो प्रतिमाएँ स्थापित हैं. लगभग 5 फुट ऊँचाई की मुख्य प्रतिमा माता त्रिपुर सुंदरी की है जबकि 2 फुट की एक अन्य प्रतिमा, जिसे 'छोटी माँ' कहा जाता है, माता चंडी की है.

मंगला गौरी मंदिर, गया
नवरात्र के मौके पर प्रत्येक देवी स्थानों पर भक्तों की भारी भीड़ इकट्ठा हो रही है. ऐसे में बिहार के गया शहर से कुछ ही दूरी पर भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जिस कारण यह शक्तिपीठ 'पालनहार पीठ' या 'पालनपीठ' के रूप में प्रसिद्ध है. इस शक्तिपीठ को असम के कामरूप स्थित मां कमाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है. कालिका पुराण के अनुसार, गया में सती का स्तन मंडल भस्मकूट पर्वत के ऊपर गिरकर दो पत्थर बन गए थे. इसी प्रस्तरमयी स्तन मंडल में मंगलागौरी मां नित्य निवास करती हैं जो मनुष्य शिला का स्पर्श करते हैं, वे अमरत्व को प्राप्त कर ब्रह्मलोक में निवास करते हैं. इस शक्तिपीठ की विशेषता यह है कि मनुष्य अपने जीवन काल में ही अपना श्राद्ध कर्म यहां संपादित कर सकता है. 

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी 
भारत में शक्ति पीठों में से एक, असम में नीलाचल पहाड़ी की चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर में देवी कामाख्या की कोई मूर्ति नहीं है, साथ ही यहां कामाख्या मंदिर में देवी की योनि की मूर्ति की पूजा की जाती है. इसे गुफा के एक कोने में रखा गया है. ये मंदिर काफी रहस्यों से घिरा हुआ है. जून (आषाढ़) के महीने में कामाख्या के पास से गुजरने वाली ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि नदी लाल होने का कारण है कि इस दौरान मां को मासिक धर्म हो रहे हैं. यह भी कहा जाता है कि मंदिर के चार गर्भगृहों में 'गरवर्गीहा' सती के गर्भ का घर है. 

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