उज्जैन का हरसिद्धि मंदिर, जहां हर 12 साल में राजा विक्रमादित्य अपना सिर करते थे अर्पित

नवरात्रि के समय शक्तिपीठ मंदिरों के दर्शन करने का खास महत्व होता है. आज हम आपको ऐसे ही एक प्राचीन माता के मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका काफी महत्व है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में मां हरसिद्धि का मंदिर स्थित है.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
ujjain temple

Ujjain Harsiddhi temple( Photo Credit : फाइल फोटो)

13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021 ) शुरू हो रहा है, जो कि 21 अप्रैल तक चलेगा. नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरे विधि विधान से देवी दुर्गा की पूजा करता है , उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. नवरात्रि के समय शक्तिपीठ मंदिरों के दर्शन करने का खास महत्व होता है. आज हम देवी के ऐसे ही प्राचीन मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसका महत्व काफी है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में हरसिद्धि (Ujjain Harsiddhi temple) माता का मंदिर स्थित, जिसकी मान्यता दूर-दूर तक प्रचलित है. 

Advertisment

बताया जाता है कि हरसिद्धि माता राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी थी और वो उनके परम भक्त माने जाते थे. वहीं इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा है कि राजा विक्रमादित्य हर 12 साल में देवी के चरणों में अपने सिर को अर्पित कर देते थे, लेकिन हरसिद्धि मां की कृपा और चमत्कार से उनका सिर दोबारा आ जाता था. लेकिन जब राजा ने 12वीं बार अपना सिर माता रानी के चरणों में चढ़ाया तो वो वापस नहीं जुड़ सका और उनकी विक्रमादित्य की जीवन लीला यहीं समाप्त हो गई. 

और पढ़ें: ग्वालियर का शीतला मंदिर, जहां डकैत भी झुकाते थे सिर, जानें पौराणिक कथा

आज भी मंदिर के एक कोने में 11 सिंदूर लगे रुण्ड पड़े हैं। कहते हैं ये उन्हीं के कटे हुए मुण्ड हैं। मान्यता है कि सती के अंग जिन 52 स्थानों पर अंग गिरे थे, वे स्थान शक्तिपीठ में बदल गए और उन स्थानों पर नवरात्र के मौके पर आराधना का विशेष महत्व है। 

 बता दें कि साल में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. दीपावली से पहले मनाई जाने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्र कहते हैं. वहीं दोनों ही नवरात्रि में पूजा की विधि और महत्व अलग-अलग हैं.  हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 2021 में चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रही है और इसका समापन 21 अप्रैल को होगा. चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. 

  • 13 अप्रैल प्रतिपदा- घट/कलश स्थापना-शैलपुत्री
  • 14 अप्रैल द्वितीया- ब्रह्मचारिणी पूजा
  • 15 अप्रैल तृतीया- चंद्रघंटा पूजा
  • 16 अप्रैल चतुर्थी- कुष्मांडा पूजा
  • 17 अप्रैल पंचमी- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
  • 18 अप्रैल षष्ठी- कात्यायनी पूजा
  • 19 अप्रैल सप्तमी- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
  • 20 अप्रैल अष्टमी- महागौरी, दुर्गा अष्टमी, निशा पूजा
  • 21 अप्रैल नवमी- नवमी हवन, नवरात्रि पारण

मध्य प्रदेश आईपीएल-2021 चैत्र नवरात्र उज्जैन उजैन हरसिद्धि मंदिर chaitra navratri हरसिद्धि मंदिर madhya-pradesh Harsiddhi Temple Shaktipeeth Ujjain Harsidhhi Temple Ujjain Chaitra Navratri 2021 शक्तिपीठ
      
Advertisment