ग्वालियर का शीतला मंदिर, जहां डकैत भी झुकाते थे सिर, जानें पौराणिक कथा
13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहा है, जो कि 21 अप्रैल तक चलेगा. नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरे विधि विधान से देवी दुर्गा की पूजा करता है , उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
नई दिल्ली:
13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2021 ) शुरू हो रहा है, जो कि 21 अप्रैल तक चलेगा. नवरात्रि के दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भी भक्त पूरे विधि विधान से देवी दुर्गा की पूजा करता है , उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. नवरात्रि के समय शक्तिपीठ मंदिरों के दर्शन करने का खास महत्व होता है. ऐसे में आज हम मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित मां शीतला देवी के मंदिर के महत्व के बारे में बताएंगे. इस मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथा प्रचलित है.
ग्वालियर के घने जंगल में स्थित शीतला देवी का एक ऐसा मंदिर है, जहां देवी अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर यहां आकर विराजमान हो गई. बताया जाता है कि घने जंगल के कारण यहां बहुत शेर रहा करते थे. इसके बावजूद मां के भक्तगण रोज उनकी पूजा अर्चना करने आते थे. इस मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि एक समय पूरे चंबल इलाके में डकैतों का बोलबाला था लेकिन डकैतों ने इस इलाके में कभी लूटपाट नहीं की और ना ही कभी श्रद्धालुओं की तरफ देखा. लोगों का कहना है कि डकैत भी मां के दरबार में अपनी प्रार्थना लेकर आते थे.
शीतला मंदिर की पौराणिक कथा-
ऐसा बताया जाता है कि माता के पहले भक्त गजाधर मौजूद मंदिर के पास ही बसे गांव सांतऊ में रहते थे. वे भिंड जिले के गोहद के पास खरौआ में एक प्राचीन देवी मंदिर में नियमित रूप से गाय के दूध से माता का अभिषेक करते थे. महंत गजाधर की भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां कन्या रूप में प्रकट हुईं और महंत से अपने साथ ले चलने को कहा. गजाधर ने माता से कहा कि उनके पास कोई साधन नहीं है वह उन्हें अपने साथ कैसे ले जाएं. तब माता ने कहा कि वह जब उनका ध्यान करेंगे वह प्रकट हो जाएंगी. गजाधर ने सांतऊ पहुंचकर माता का आवाहन किया तो देवी प्रकट हो गईं और गजाधर से मंदिर बनवाने के लिए कहा. गजाधर ने माता से कहा कि वह जहां विराज जाएंगी वहीं मंदिर बना दिया जाएगा. माता सांतऊं गांव से बाहर निकल कर जंगलों में पहाड़ी पर विराजमान गईं. तब से महंत गजाधर के वंशज इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. महंत नाथूराम पांचवीं पीढ़ी के हैं.
आज मां शीतला की महिमा इतनी बढ़ गई है कि नवरात्रि के दिनों में दूर-दूर से उनके भक्त बिना जूते चप्पल पैदल चलकर दर्शन करने पहुंचते हैं. निसंतान दंपति को संतान प्राप्त होती है. वहीं लोग मां के दरबार में सुखी जीवन के लिए अपने बच्चों को पालने में झूलाते हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह