प्रेग्नेंसी का समय एक महिला के लिए काफी अहम होता है. इस दौरान महिलाओं को मंदिर जाने या फिर पूजा-पाठ करने पर कोई रोक नहीं होती है, लेकिन कई महिला को कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो उसे मंदिर में जाने से परहेज करना चाहिए. वहीं महिलाओं के लिए पूजा-पाठ में अलग से कुछ नियम होते हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्या महिलाएं प्रेग्नेंसी में मंदिर जा सकती हैं या नहीं.
मंदिर जाने की अनुमति
दरअसल, प्रेग्नेंसी में महिला को 7 महीने के बाद मंदिर जाने की अनुमति नहीं होती है. इस कारण यह है कि मंदिर में सीढ़िया चढ़नी होती है तो वहीं कुछ मंदिर पहाड़ की चोटी पर होते हैं, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु पर असर पड़ सकता है. हालांकि गर्भवती महिला की स्वास्थ्य स्थिति अच्छी हो तो 5-7 माह तक मंदिर जाने पर कोई रोक नहीं है.
मंदिर जाने पर रोक नहीं
अगर मंदिर में बहुत अधिक देर तक बैठकर या खड़े होकर कष्टकारी रूप से पूजा न करें और परिक्रमा भी न करें. ऐसी कोई गतिविधि न करें, जिससे कि शारीरिक तनाव हो. इस प्रकार धार्मिक रूप से गर्भवती महिला के मंदिर जाने पर कोई रोक नहीं होता है. लेकिन गर्भवती महिला को अपनी शारीरिक स्थिति और यात्रा की सुविधा का ध्यान रखना चाहिए.
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मानसिक शांति
गर्भवती महिला अगर मंदिर जाएं तो अधिक देर तक व्रत न रखे. बल्कि समय-समय पर पानी पीते रहें. अधिक समय तक भूखे-प्यासे रहना आपके और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है. गर्भावस्था में मंदिर जाने से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है. लेकिन आप अपनी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही मंदिर जाने का निर्णय लें. अगर किसी कारण मंदिर न जा पाए तो घर पर साधारण पूजा-पाठ भी कर सकती हैं या भगवत गीता का पाठ कर सकती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)