Bhagavad Gita Gyaan: सफलता और सुख का स्रोत हैं भगवान श्री कृष्ण की ये 5 विशेष बातें

Bhagavad Gita Gyaan: आज हम आपको श्री कृष्ण द्वारा भगवद्गीता में बताई गई उन 5 विशेष बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर असल में व्यक्ति सफलता और सुख दोनों का आनंद उठा सकता है.

Bhagavad Gita Gyaan: आज हम आपको श्री कृष्ण द्वारा भगवद्गीता में बताई गई उन 5 विशेष बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर असल में व्यक्ति सफलता और सुख दोनों का आनंद उठा सकता है.

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Gaveshna Sharma
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Bhagavad Gita Gyaan

सफलता और सुख का स्रोत हैं भगवान श्री कृष्ण की ये 5 विशेष बातें ( Photo Credit : Social Media)

Bhagavad Gita Gyaan: भगवद्गीता का ज्ञान कर्म पर आधारित. भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता उपदेशों में बिना किसी भय या चिंता के कर्म करते रहने की बात कही है. ऐसा कहा जा सकता है कि गीत ज्ञान के माध्यम से श्री कृष्ण ने मनुष्यों को जीवन जीने का सही तरीका सिखाया है. कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है. श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन जीने के लिए श्रेष्ठम सूत्र हैं. कृष्ण का मानना है कि अगर व्यक्ति मस्तिष्क को शांत और ह्रदय को स्थिर रख कर प्रयास करे तो निश्चित तौर पर एक उत्तम परिणाम की ओर अग्रसर हो सकता है. वहीं, आज हम आपको श्री कृष्ण द्वारा भगवद्गीता में बताई गई उन 5 विशेष बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर असल में व्यक्ति सफलता और सुख दोनों का आनंद उठा सकता है. 

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1. जीवन के हर संघर्ष का सामना करो 
श्री कृष्ण कहते हैं कि, व्यक्ति का जन्म अगर पृथ्वी पर हुआ है तो संघर्ष भी उसे करना ही होगा. मानव जीवन में आकर ईश्वर भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकते. ऐसे में परिस्थितियों से भागने के बजाय उसके सामने डटकर खड़े हो जाना चाहिए. क्योंकि, कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है. कर्मों से ही परेशानियों को जीता जा सकता है. 

2. विजय के लिए स्वास्थ्य की आवश्यकता 
श्री कृष्ण का मानना है कि व्यक्ति को विजय हासिल करने के लिए स्वस्थ रहना जरूरी है. क्योंकि स्वस्थ शरीर से बल प्राप्त होता है और दिमाग भी विपरीत परिस्थितिओं में तीव्रता से चलता है. जिसके कारण व्यक्ति हर लड़ाई में सफलता पाता है. 

3. किताबी पढ़ाई से ज्यादा जरूरी रचनात्मक शिक्षा 
भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार, शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो मनुष्य के व्यक्तित्व का रचनात्मक विकास करे. यानी कि मात्र किताबी पढ़ाई ही नहीं व्यक्ति को जीवन के हर एक पहलू से कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए और अन्य कलात्मक क्षेत्रों में भी आगे बढ़ना चाहिए.

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4. रिश्तों की बहुमूल्यता समझें 
भगवान श्रीकृष्ण ने जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा, जिनको मन से अपना माना. रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं एवं रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती. उनकी यही बातें इस बात का संकेत हैं कि सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं. 

5. शांति ही है सबसे बड़ा हथियार 
कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पहले शांति से समझौता करने के लिए पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की. हालांकि दोनों ही पक्ष युद्ध लड़ने के लिए आतुर थे लेकिन कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कैसे भी युद्ध टल जाए. झगड़ों से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता है. शांति के मार्ग पर चलकर ही समाज का रचनात्मक विकास हो सकता है. कृष्ण ने समाज की शांति से मन की शांति तक, दुनिया को ये समझाया कि कोई भी परेशानी तब तक मिट नहीं सकती, जब तक वहां शांति ना हो. फिर चाहे वो समाज हो या हमारा खुद का मन. 

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