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Baisakhi 2023: जानें बैसाखी पर सत्तू खाने और दान करने के फायदे, क्या है धार्मिक महत्व

बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं.

Updated on: 13 Apr 2023, 01:54 PM

नई दिल्ली :

Baisakhi 2023 : बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र में मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि कहा जाता है और सूर्य भी अग्नि तत्व के ग्रह हैं. जब भी मेष राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं, तो गर्मी तेजी से बढ़ने लग जाती है. जिससे अपने स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए और गर्मी से बचने के लिए सत्तू का सेवन किया जाता है. ये शरीर को शीतलता प्रदान करती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में सत्तू खाने और दान करने करने के बारे में विस्तार से बताएंगे, साथ ही सत्तू का धार्मिक महत्व क्या है. 

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जानें क्या है सत्तू का धार्मिक महत्व 
बैसाखी पर बिहार सहित कई राज्यों में इस दिन सत्तू खाने और दान करने की परंपरा है. ज्योतिष शास्त्र में सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल, गुरु से माना जाता है. इसलिए सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से सत्तू और गुड़ का सेवन करना चाहिए और इसका दान भी करना चाहिए. ऐसा करने से सूर्यदेव की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है और मृत्यु के बाद स्वर्ग लोग में स्थान मिलता है, साथ ही नया जन्म लेने के बाद गरीबी का मुंह नहीं देखना पड़ता है. इससे चारों ग्रह प्रसन्न रहते हैं. 

वैशाख माह में कराएं सत्यनारायण की पूजा 
मेष संक्रांति पर गंगा स्नान, जप-तप करने का विशेष महत्व है. इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है, कथा सुनी जाती है और सत्तू का भोग लगाया जाता है और घर-घर प्रसाद के रूप में इसजका वितरण किया जाता है. 

मेष संक्रांति पर खत्म हो जाएगा खरमास 
सूर्य जब मेष राशि में आते हैं, तो खरमास की समाप्ति हो जाती है और शादी-विवाह जैसे शुभ काम किए जाते हैं. इस दिन गंगा स्नान करने के बाद नई फसलों की कटने की खुशी में सत्तू खाया जाता है. इस दिन सत्तू के साथ मिट्टी के घड़े, तिल, जल और जूते आदि चीजों का दान करना चाहिए.