Badrinath Temple: जानें बद्रीनाथ में क्यों नहीं बजाया जाता है शंख, क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के दौरान शंख बजाने का खास महत्व है.

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के दौरान शंख बजाने का खास महत्व है.

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Aarya Pandey
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Badrinath Temple

Badrinath Temple( Photo Credit : Social Media )

Badrinath Temple : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के दौरान शंख बजाने का खास महत्व है. इतना ही नहीं, कोई भी शुभ काम शुरु करने से पहले शंख जरूर बजाया जाता है. साथ ही शंख में जल डालकर पुरोहित पवित्रीकरण मंत्र का उच्चारण कर सभी दिशाओं और वहां मौजूद लोगों पर जल छिड़कते हैं. लेकिन शंख का इतना महत्व होने के बाद भी चक्रधारी भगवान विष्णु के मंदिर में ही शंख नहीं बजाया जाता है. तो ऐसे में आइए जानते हैं, कि आखिर ऐसी क्या वजह है, कि बद्रीनाथ में शंख बजाना वर्जित है. 

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उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर बद्रीनाथ धाम स्थित है. भगवान बद्री विशाल को पंच बद्री विशाल के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने का प्रमाण मिलता है. यहां भगवान बद्रीनारायण की एक मीटर लंबी शालिग्राम से बनी मूर्ति स्थापित है. ऐसी मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर स्थापित किए थे. यहां कपाट खुलने के बाद भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर में शंख नहीं बजाई जाती है, इसके पीछे धार्मिक, प्राकृतिक और वैज्ञानिक कारण है. 

इसका धार्मिक कारण क्या है? 
बद्रीनाथ धाम में शंख न बजाने के पीछे धार्मिक मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि मां लक्ष्मी बद्रीनाथ धाम में तुलसी रूप में ध्यान कर रही थीं, जब वह ध्यानमग्न थीं, तब उसी समय भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नामक एक राक्षस का वध वध किया था. वहीं हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने या फिर समापन से पहले शंख बजाया जाता है. लेकिन भगवान विषणु ने शंखचूर्ण का वध करने के बाद शंख इसलिए नहीं बजाया कि तुलसी रूप में ध्यान कर रही मां लक्ष्मी का ध्यान भंग हो जाएगा. इसलिए आज भी इसी बात का ध्यान रखते हुए बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है. 

जानें क्या है वैज्ञानिक और प्राकृतिक कारण 
बद्रीनाथ धाम में बर्फबारी के समय पूरा बद्रीनाथ सफेद चादर की भांति ढक जाता है. वहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर बद्री क्षेत्र  शंख बजाया जाए, तो शंख की आवाज बर्फ से टकराकर दरार पड़ने की आशंका रहती है. अगर ऐसा हुआ तो पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है और लैंडस्लाइड होने का भी खतरा बढ़ जाता है. इसलिए इन बातों का ध्यान रखकर शंख नहीं बजाया जाता है. 

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