Ashadha Purnima 2023: हिंदू पंचांग में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भद्रा भी है. जिसका वास पाताल लोक में है. हालांकि ये भद्रा 1 घंटे 20 मिनट के लिए ही है. अब ऐसे में आषाढ़ पूर्णिमा की शुभ तिथि क्या है, किस योग में इस बार आषाढ़ पूर्णिमा है, भद्रा का समय क्या है, इसके बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में विस्तार से बताएंगे.
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आषाढ़ पूर्णिमा की शुभ तिथि
कैलेंडर के हिसाब से, इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि दिनांक 02 जुलाई दिन रविवार को रात 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर ही आषाढ़ पूर्णिमा व्रत और स्नान-दान दिनांक 3 जुलाई को किया जाएगा.
इस बार शुभ योग में है आषाढ़ पूर्णिमा
दिनांक 3 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दो शुभ योग है, एक ब्रह्म और एक इंद्र योग बन रहे हैं. इस दिन ब्रह्म योग दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक है, उसके बाद से इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा. ये दोनों ही योग पूजा-पाठ आदि के लिए शुभ हैं.
जाने आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह से ही स्नान, दान और पूजा के लिए मुहूर्त बना हुआ है. इस दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर है. उसके बाद शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है.
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र अर्घ्य समय
आषाढ़ पूर्णिमा को शाम 07 बजकर 40 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा. जब लोग व्रत रखेंगे, वे इस समय पर चंद्रमा की पूजा करने के बाद अर्घ्य देंगे. चंद्र अर्घ्य और पूजा करने से जीवन में सुख और शांति आती है और जीवन में हमेशा तरक्की मिलती है.
जानें भद्रा का समय
दिनांक 3 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा वाले दिन सुबह में 1 घंटा 20 मिनट के लिए भद्रा काल है. उस दिन भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
जानें आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व क्या है
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर सत्यनारायण भगवान की पूजा करने का विधान है. ऐसा करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है. साथ ही रात चंद्रमा पूजा से कुंडली में स्थित चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है.