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Ashadha Month 2022 First Pradosh Vrat Puja Vidhi, Mahatva and Laabh: आषाढ़ माह के एहले प्रदोष व्रत पर इस सरल पूजा विधि से पाएं ये दिव्य लाभ और शिव- शक्ति का विशेष आशीर्वाद

Ashadha Month 2022 First Pradosh Vrat Puja Vidhi, Mahatva and Laabh: आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा जो कि 26 जून दिन रविवार को पड़ेगा. रविवार को पड़ने के कारण यह रवि प्रदोष व्रत होगा.

Updated on: 25 Jun 2022, 01:32 PM

नई दिल्ली :

Ashadha Month 2022 First Pradosh Vrat Puja Vidhi, Mahatva and Laabh: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिंदू कैलेंडर का चौथा माह आषाढ़ आरंभ हो चुका है. आषाढ़ मास का प्रथम प्रदोष व्रत 26 जून 2022 को रखा जाएगा. साथ ही इस दिन रविवार है इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. जहां प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा-पाठ का विधान होता है, वहीं रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित माना गया है. इस दिन विधि-विधान के साथ मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-व्रत आदि करने से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं. शिव जी के आशीर्वाद से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही, वंश, धन और संपत्ति आदि में वृद्धि होती है.

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रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- त्रयोदशी तिथि को प्रातः उठकर स्नानादि करके दीपक प्रज्वलित करके व्रत का संकल्प लेते हैं.

- पूरे दिन व्रत करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजन करना चाहिए.

- यदि मंदिर नहीं जा सकते तो घर के पूजा स्थल या स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजन करना चाहिए.

- शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए.

- धूप-दीप फल-फूल, नैवेद्य आदि से विधिवत् पूजन करना चाहिए.

- पूजन और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप करते रहें.

रवि प्रदोष व्रत का महत्व 
- स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के महत्व का उल्लेख प्राप्त होता है. मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि पर शाम के समय यानी प्रदोष काल में भोलेनाथ कैलाश पर खुश होकर नृत्य करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल में शिव पूजा और मंत्र जाप से भोलेनाथ प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. साथ ही व्यक्ति को सौभाग्य, आरोग्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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- रवि प्रदोष व्रत रखने से धन, आयु, बल, पुत्र आदि की प्राप्ति होती है. दिन के आधार पर प्रदोष व्रत का महत्व अलग-अलग होता है. रविवार के दिन का प्रदोष व्रत, जो रवि प्रदोष व्रत होता है, इसके करने से लंबी आयु प्राप्त होती है और रोग आदि से मुक्ति भी मिलती है.

रवि प्रदोष व्रत के लाभ
- प्रदोष रविवार को पड़ने पर आयु वृद्धि, अच्छी सेहत का फल मिलता है.

- रवि प्रदोष एक ऐसा व्रत है जिसे करने से व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है.

- रवि प्रदोष का व्रत करके सूर्य से संबंधित सभी रोग को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है. 

- लेकिन किसी भी व्रत या पूजा का फल तभी मिलता है, जब विधि विधान पूजन और ईश्वर का भजन किया जाए.