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Mahakaal Shani Mrityunjay Stotra: शनिवार के दिन किया गया महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र सोया भाग्य जगाए... साढ़े साती, ढैय्या और भयंकर रोगों से राहत दिलाए

Mahakaal Shani Mrityunjay Stotra: शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने से अकाल मृत्यु का योग भी कट सकता है. शनि मृत्युंजय स्तोत्र में 100 श्लोक हैं. शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व शनि देव की आराधना करनी चाहिए.

Updated on: 25 Jun 2022, 12:04 PM

नई दिल्ली :

Mahakaal Shani Mrityunjay Stotra: आज शनिवार को कर्मफलदाता शनि देव की आराधना की जाती है. आज का दिन उनकी पूजा अर्चना के लिए है. जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती, ढैय्या, शनि दोष आदि होता है या फिर शनि के दुष्प्रभाव के कारण कोई रोग या दोष उत्पन्न होता है, उनको महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इस पाठ को आप शनिवार या​ फिर प्रतिदिन भी कर सकते हैं. इसके माध्यम से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र काफी बड़ा है. यहां पर आपको इसका मूल पाठ ही दिया जा रहा है.

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ज्योतिष के अनुसार, शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने से अकाल मृत्यु का योग भी कट सकता है. शनि मृत्युंजय स्तोत्र में 100 श्लोक हैं. इनको आप पढ़ने बैठेंगे, तो काफी समय लगेगा. इसके लिए आपको पहले से समय निर्धारित करना होगा. पूरा स्तोत्र संस्कृत में है, कुछ लोगों के लिए पढ़ना कठिन भी हो सकता है. इसका पाठ करते समय शुद्ध उच्चारण करना चाहिए. तभी इसका फल प्राप्त होगा.

शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने से पूर्व शनि देव की आराधना करनी चाहिए. विधिपूर्वक शनि देव की पूजा अर्चना करें. उसके पश्चात एकांत या शांतिपूर्ण स्थान पर शनि देव का ध्यान करके इसका पाठ करें. यदि आप मंत्रों का उच्चारण करने में असमर्थ हैं, तो किसी योग्य पंडित या ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं.

महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र
ॐ ह्रीं श्रीकालरुपिं नमस्तेस्तु सर्वपापप्रणाशक:।
त्रिपुरस्य वधार्थाय शंभुजाताय ते नम:।।
ॐ नम: कालशरीराय कालन्नुनाय ते नम:।
कालहेतो नमस्तुभ्यं कालनंदाय वै नम:।।

ॐ अखंडदंडमानाय त्वनाद्यन्ताय वै नम:।
कालदेवाय कालाय कालकालाय ते नम:।।
ॐ निमेषादि महाकल्प कालरुपं च भैरवं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।

ॐ दातारं सर्वभव्यानां भक्तानां अभयंकरं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
ॐ कर्तारं सर्वदु:खानां दुष्टानां भयवर्धनं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।

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ॐ हर्तारं ग्रहजातानां फलानां अघकारिणांं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
ॐ सर्वेषामेव भूतानां सुखदं शांतिमव्ययं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।

ॐ कारणंसुखदु:खानां भावाभावस्वरुपिणं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
ॐ अकालमृत्युहरणं अपमृत्युनिवारणं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।

ॐ कालरुपेण संसारं भक्षयंतं महाग्रहं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
ॐ दुर्निरिक्ष्यं स्थूलरोमं भीषणं दीर्घलोचनं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।

ॐ ग्रहाणं ग्रहभूतं च सर्वग्रह निवारणं।
मृत्युंजयं महाकालं नमस्यामि शनैश्चरम्।।
ॐ कालस्यवशगा: सर्वेन काल: कस्यचित वश:।
तस्मात्वां कालपुरुषं प्रणतोस्मि शनैश्चरम्।।

ॐ कालदेव जगत्सर्वं कालएव विलीयते।
कालरुपं स्वयं शंभु: कालात्मा ग्रहदेवतां।।
ॐ चंडीशो रुद्र डाकिन्याक्रांत: चंडीश उच्यते।
विद्युदाकलितो नद्यां समारुढो रसाधिप:।।

ॐ चंडीश: शुकसंयुक्तो जिव्ह्या ललित:पुन:।
क्षतजस्तामशी शोभी स्थिरात्मा विद्युतयुत:।।
ॐ ह्रीं नमोन्तो मनुरित्येष शनितुष्टिकर: शिवे।
आद्यंते अष्टोत्तरशतं मनुमेनं जपेन्नर:।।