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Ahoi Ashtami Vrat( Photo Credit : Social Media)
अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) महिलाओं के लिए बहुत खास होता है. यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, खास तौर पर भारत के उत्तरी राज्यों में. इस व्रत में माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास रखती हैं. अहोई अष्टमी करवा चौथ के समान है. एक दिन के निर्जला व्रत का पालन करने के बाद, माताएं व्यक्तिगत रीति-रिवाजों और परंपराओं के आधार पर चंद्रमा या सितारों के दर्शन के बाद अपना उपवास तोड़ती हैं. अहोई अष्टमी17 अक्टूबर यानी आज मनाया जाएगा. आज महिलाएं सुबह से ही इस व्रत की तैयारी में लग गईं हैं. तो चलिए जानते हैं अहोई व्रत का महत्व और नियम.
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महिलाओं को सभी अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद गायों को खिलाना चाहिए या मंदिर के पुजारी को पूजा प्रसाद देना चाहिए.
माताएं क्या बच्चों को एक साथ बैठना चाहिए और यह पूजा करनी चाहिए.
चांदी को शुभ माना जाता है और इस प्रकार, चांदी की चेन (हार) माताओं को पहननी चाहिए जो स्याऊ माता का प्रतीक है.
अपनी पूजा की थाली में मिठाई और अनाज के साथ-साथ पूजा की रस्मों में दक्षिणा भी शामिल करें.
अहोई अष्टमी 2022: पूजा विधि
प्रात:काल लगभग 4 बजे उठकर आकाश की ओर निहारते हुए उपवास रखें.
बिना पानी पिए व्रत सख्ती से किया जाता है.
फिर रात में आकाश में तारे देखकर व्रत तोड़ते हैं.
अपने बच्चों की खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.
शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त शाम 05:34 बजे से शाम 06:47 बजे तक.
Source : News Nation Bureau