Chhath Puja Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा माना जाता है छठी मैया का व्रत, सुनने से होती है शुभ फलों की प्राप्ति

Chhath Puja Vrat Katha: छठी मैया की पूजा के दौरान छठ व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. मान्यता के अनुसार छठ व्रत के दौरान कथा पढ़ने या सुनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं व्रत कथा के बारे में.

Chhath Puja Vrat Katha: छठी मैया की पूजा के दौरान छठ व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. मान्यता के अनुसार छठ व्रत के दौरान कथा पढ़ने या सुनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं व्रत कथा के बारे में.

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Akansha Thakur
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Chhath Puja Vrat Katha

Chhath Puja Vrat Katha

Chhath Puja Vrat Katha: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज यानी  25 अक्टूबर 2025, शनिवार से शुरू हो चुका है. आज नहाय-खाय के साथ चार दिन चलने वाले इस व्रत की शुरुआत हुई है. यह पर्व 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा. यह पर्व आस्था, अनुशासन और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान व्रती महिलाएं सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती हैं तथा निर्जला व्रत रखती हैं.

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छठ पूजा में कथा का महत्व

छठ पूजा में व्रत कथा सुनना या पढ़ना बेहद आवश्यक माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि बिना कथा सुने यह व्रत अधूरा रहता है. संध्या अर्घ्य के समय जब व्रती छठी मैया की पूजा करती हैं, तब छठ व्रत कथा सुनी जाती है. ऐसा करने से शुभ फल, संतान सुख और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

छठ पूजा की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में प्रियंवद नाम के राजा थे. राजा और उनकी रानी मालिनी के कोई संतान नहीं थी. इस कारण दोनों गहरे दुख में रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने अनेक यज्ञ और उपाय किए, लेकिन हर बार असफल रहे. एक दिन राजा-रानी महर्षि कश्यप के पास पहुंचे. महर्षि ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने की सलाह दी.

यज्ञ के दौरान खीर तैयार की गई और आहुति देने के बाद जो खीर बची, वह रानी को खाने के लिए दी गई. रानी ने वह खीर ग्रहण की, जिसके प्रभाव से वह गर्भवती हुईं. समय आने पर रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ. इस घटना से राजा और रानी बहुत दुखी हुए.

देवी षष्ठी का प्रकट होना

दुःखी राजा अपने पुत्र के शव को लेकर श्मशान घाट पहुंचे और उन्होंने वहीं प्राण त्यागने का निश्चय किया। तभी उनके सामने एक तेजस्विनी देवी प्रकट हुईं. देवी ने बताया कि वे भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न देवी षष्ठी हैं.

देवी ने कहा कि यदि राजा उनकी पूजा और व्रत करेंगे और लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेंगे, तो वे इस दुख से मुक्त हो जाएंगे. राजा ने देवी के निर्देशों का पालन किया और षष्ठी व्रत रखा. फलस्वरूप, उनके घर में एक स्वस्थ पुत्र का जन्म हुआ.

छठी मैया की पूजा का महत्व

तभी से देवी षष्ठी की पूजा का यह छठ पर्व प्रचलित हुआ. आज भी यह पर्व संतान सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार के कल्याण के लिए रखा जाता है. छठी मैया की कृपा से जीवन में आस्था, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है.

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