Dog Temple: भारत का अनोखा मंदिर जहां देवी-देवताओं की नहीं बल्कि कुत्तों की होती है पूजा, बेहद दिलचस्प है इसके पीछे की वजह

Mysterious Dog Temple: भारत में कई अनोखे मंदिर भी हैं, जो अलग-अलग मान्यताओं पर आधारित हैं. इन्हीं में से एक अनोखा मंदिर कर्नाटक के चन्नापटना के अग्रहार वलगेरेहल्लि गांव में स्थित कुत्तों का मंदिर है.

Mysterious Dog Temple: भारत में कई अनोखे मंदिर भी हैं, जो अलग-अलग मान्यताओं पर आधारित हैं. इन्हीं में से एक अनोखा मंदिर कर्नाटक के चन्नापटना के अग्रहार वलगेरेहल्लि गांव में स्थित कुत्तों का मंदिर है.

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Akansha Thakur
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Mysterious Dog Temple

Mysterious Dog Temple

Mysterious Dog Temple: भारत में पालतू जानवरों से लोगों का खास लगाव रहा है. कुत्ता इनमें सबसे लोकप्रिय है. धार्मिक मान्यताओं में भी कुत्ते का विशेष स्थान है. कहा जाता है कि शिवजी के गणों में काले श्वान का उल्लेख मिलता है. भैरव बाबा के वाहन के रूप में काले कुत्ते की पूजा की जाती है. कई जगह काले कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है. जी हां, ऐसा ही एक मंदिर है जहां देवी-देवताओं की नहीं बल्कि कुत्तों की पूजा की जाती है. ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं आखिर कहां है ये मंदिर और इसके पीछे की दिलचस्प कहानी के बारे में. 

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कुत्तों का अनोखा मंदिर

कर्नाटक के रामनगर जिले के चन्नापटना क्षेत्र में एक ऐसा मंदिर है, जो कुत्तों को समर्पित है. यह मंदिर अन्य धार्मिक स्थलों से बिल्कुल अलग है. यहां कुत्तों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. यही कारण है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच खास पहचान रखता है. यह डॉग टेंपल चन्नापटना के पास अग्रहारा वलागेरेहल्ली गांव में स्थित है. स्थानीय लोग इसे ‘नई देवस्थान’ कहते हैं. कन्नड़ भाषा में ‘नाई’ का अर्थ कुत्ता होता है. मंदिर का निर्माण वर्ष 2010 में एक स्थानीय व्यापारी रमेश द्वारा कराया गया था.

क्यों माना जाता है यह मंदिर खास? 

यह कर्नाटक का एक दुर्लभ मंदिर है, जहां कुत्तों की पूजा होती है. गांव के लोगों की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना पूरी होती है. हर साल यहां जात्रा महोत्सव आयोजित होता है. इस दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. भक्त पहले कुत्तों को प्रणाम करते हैं, फिर वीरमस्ति केम्पम्मा देवी के दर्शन करते हैं.

मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी 

मंदिर निर्माण के समय दो कुत्ते वहां आकर रहने लगे थे. गांव वालों ने उनकी देखभाल की. मंदिर पूरा होने के बाद वे कुत्ते अचानक गायब हो गए. मान्यता है कि देवी ने एक ग्रामीण को सपने में उन कुत्तों को खोजने का संकेत दिया. काफी खोज के बाद भी जब वे नहीं मिले, तब मंदिर में कुत्तों की मूर्तियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया. तभी से यह परंपरा शुरू हुई. चन्नापटना को ‘खिलौनों का शहर’ कहा जाता है. यहां बनने वाले रंग-बिरंगे लकड़ी के खिलौने दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. ये खिलौने लकड़ी और प्राकृतिक रंगों से तैयार किए जाते हैं. साल 2010 में एक अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान भी चन्नापटना के खिलौनों ने खास ध्यान खींचा था.

चन्नापटना कैसे पहुंचे? 

चन्नापटना पहुंचने के लिए बेंगलुरु सबसे नजदीकी बड़ा शहर है. केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और बेंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन यहां के प्रमुख मार्ग हैं. वहां से बस, टैक्सी या कैब आसानी से मिल जाती है. चन्नापटना शहर से यह मंदिर करीब 20 किलोमीटर दूर गांव में स्थित है.

आस्था से जुड़ी एक और मान्यता

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के पास चिपिया गांव में भी कुत्ते से जुड़ी आस्था देखने को मिलती है. यहां भैरव बाबा के मंदिर के पास कुत्ते की समाधि है. ग्रामीणों का विश्वास है कि यहां बने कुंड में स्नान करने से कुत्ते के काटने का असर खत्म हो जाता है. लोग यहां प्रसाद चढ़ाते हैं और आपस में बांटते हैं.

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Dog Temple Dog Temple in India
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