Jagannath Puri Temple: 1 साल के 3 बच्चे बने जगन्नाथ पुरी मंदिर के सेवादार, हर साल मिलेंगे 2 लाख रुपए
Jagannath Puri Temple: जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023 से पहले पुरी मंंदिर की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. पुरी मंदिर में 1 वर्ष के तीन नन्हें सेवादारों का चयन किया गया है.
highlights
- जगन्नाथ पुरी मंदिर में तीन नन्हें सेवादारों का हुआ चयन
- एक वर्ष कम है इन सेवादारों की उम्र
- सेवादारों को पुरी मंदिर ट्रस्ट की ओर से मिलेंगे 2 लाख तक सालाना पारिश्रमिक
नई दिल्ली:
Jagannath Puri Temple: जगन्नाथपुरी का मंदिर दुनियाभर में मशहूर है. यहां पुरोहित 24 घंटे प्रभु की सेवा में रहते हैं. पुरी मंदिर में अब प्रभु की सेवा के लिए तीन बच्चों का चयन किया गया है खास बात यह है कि इन तीनों ही सेवादारों की उम्र 1 वर्ष या उससे भी थोड़ी कम है. यही नहीं इस सेवादारों को बकायदा पुरी मंदिर ट्रस्ट की ओर से पारीश्रमिक भी दिया जाएगा. वो एक से दो लाख रुपए सालाना होगा. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
जगन्नाथपुरी रथ यात्रा देश के साथ-साथ पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखती है. त्योहार पर तीन खास रथ तैयार किए जाते हैं जिसमें अलग-अलग देवताओं के बैठाया जाता है. इस रथ का निर्माण कुशल बढ़ाई जिन्हें महाराणा के नाम से पहचाना जाता है वो करते हैं. ये काम भी पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है. मंदिर में इसी तरह सेवादारों को भी पीढ़ी दर पीढ़ी सेवा करने का मौका मिलता है. इसी कड़ी में पुरी मंदिर में तीन नन्हें सेवादार चुने गए हैं.
बलदेव, दशमोहापात्र और एकांशु नाम के इन तीन नन्हें सेवादारों की उम्र एक वर्ष के करीब है. खास बात यह है कि इन तीनों की सेवादारों को पुरी ट्रस्ट की ओर से 1 से 2 लाख रुपए सालाना पारिश्रमिक भी दिया जाएगा.
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क्या है परंपरा
दरअसल परंपरा के मुताबिक, जब भी दैतापति सेवक के घर किसी लड़के का जन्म होता है तो उसे रथ यात्रा से 15 दिन पहले जिसे अनासार अवधि के रूप में जाना जाता है भगवान की सेवा में शामिल करने के लिए चुना जाता है. इस दौरान उनकी उम्र जितनी भी हो वो इसके पात्र होते हैं. इस बार भी इसी परंपरा के चलते तीन सेवादार चुने गए हैं.
क्या करेंगे ये नन्हें सेवादार
ये नन्हें सेवादार जिनमें 10 महीने से बलदेव और 1 साल के एकांशु शामिल हैं उन्हें रथ यात्रा के दौरान सबसे खास रस्म निभाने वाले सेवकों जिन्हें दैतापति निजोग कहा जाता है उनमें शामिल किया जाता है. ये तीनों बच्चों रथ यात्रा में अपने स्तर पर सेवाएं देंगे.
मंदिर की सेवा में कब मिलेगी अनुमित
वरिष्ठ दैतापति सेवादार की मानें तो इन बच्चों की उम्र 18 वर्ष होने के बाद इन्हें मंदिर के अंदर की सेवा करने की अनुमति मिल जाएगी. तब तक इन्हें रथ यात्रा और मंदिर के बाहर से जुड़ी सेवाओं में अपना हाथ बंटाना होगा. इन बच्चों को मंदिर के अनासार घर में ही समारोह के दौरान सेवा करने का मौका भी मिलता है. अनासार घर वो जगह है जहां पर भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा रहते हैं.
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