Vishwakarma Ji Aarti: भगवान विश्वकर्मा जी की करेंगे ये आरती, दुख होंगे दूर और बढ़ेगी सुख-संपत्ति

हिंदू मान्‍यता के अनुसार विश्‍वकर्मा (lord vishwakarma aarti) देवताओं के वास्‍तुकार थे. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवता गण अपनी रक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा से ही औजार बनाने की गुहार लगाई थी. भगवान की आरती पढ़ने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

हिंदू मान्‍यता के अनुसार विश्‍वकर्मा (lord vishwakarma aarti) देवताओं के वास्‍तुकार थे. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवता गण अपनी रक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा से ही औजार बनाने की गुहार लगाई थी. भगवान की आरती पढ़ने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

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Megha Jain
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lord vishwakarma ji ki aarti

lord vishwakarma ji ki aarti( Photo Credit : social media)

हिंदू मान्‍यता के अनुसार विश्‍वकर्मा (lord vishwakarma) देवताओं के वास्‍तुकार थे. उन्‍होंने देवताओं के महल, हथियार और भवन बनाए थे. इस दिन औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि एक बार देवताओं ने असुरों से परेशान होकर विश्‍वकर्मा से गुहार लगाई. तब विश्वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों से देवताओं के राजा इंद्र के लिए एक वज्र बनाया. इस वज्र से असुरों का सर्वनाश हो गया. तभी से भगवान विश्‍वकर्मा (vishwakarma aarti in hindi) को अहम स्थान दिया गया.

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हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने रावण की लंका, कृष्‍ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्‍थ नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया था. भगवान विश्वकर्मा की पूजा सृष्टि के सृजन करता के रूप में की जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार देवता गण अपनी रक्षा के लिए भगवान विश्वकर्मा से ही औजार बनाने की गुहार लगाई थी. भगवान की आरती पढ़ने से सारी मनोकामनाएं (aarti vishwakarma ji ki) पूरी हो जाती है. तो, देख लें आज भगवान की कौन-सी आरती करें.  

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भगवान विश्वकर्मा की आरती (vishwakarma ji ki aarti)

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥

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