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Bhagwan Jagannath Ji Ki Aarti: जगन्नाथ भगवान की आरती से खुल जाएंगे सौभग्य के द्वार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि तक स्वयं अनुभव करें ये चमत्कार

Bhagwan Jagannath Ji Ki Aarti: भगवान जगन्नाथ की पूजा में उनकी आरती का विशेष महत्व होता है. ऐसे में भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के बाद उनकी आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए.

Updated on: 06 Jul 2022, 04:41 PM

नई दिल्ली :

Bhagwan Jagannath Ji Ki Aarti: 01 जुलाई 2022, शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध पुरी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई. हिंदू पंचांग के अनुसार यह रथ यात्रा हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर निकाली जाती है. इस रथ यात्रा का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पर भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के संग नगर का भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के घर आराम करने जाते हैं. रथ यात्रा में भारी संख्या में भगवान जगन्नाथ के भक्त एकत्रित होकर रथ को खींचते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,जो भी व्यक्ति इस रथयात्रा में शामिल होकर इस रथ को खींचता है उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर होता है. ऐसे जो भक्त सच्चे मन से भगवान जगन्नाथ की पूजा-आराधना करता है उसके ऊपर भगवान का आशीर्वाद जरूर मिलता है. भगवान जगन्नाथ की पूजा में उनकी आरती का विशेष महत्व होता है. ऐसे में भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के बाद उनकी आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए.

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जगन्नाथ जी की आरती

आरती श्री जगन्नाथ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

 मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
 आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,

जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

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इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
 आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,

कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी