राजस्थान विधानसभा चुनाव परिणाम : कांग्रेस को बढ़त और बीजेपी की हार के 5 कारण
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धुआंधार प्रचार भी इस चुनाव में वसुंधरा सरकार की वापसी कराने में नाकामयाब रहा
नई दिल्ली:
राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धुआंधार प्रचार भी इस चुनाव में वसुंधरा सरकार की वापसी कराने में नाकामयाब रहा. वहीं कांग्रेस रुझानों में 102 सीटों पर आगे दिख रही है. यह आंकड़ा घट और बढ़ भी सकता है. वहीं 25 सीटों पर अन्य आगे हैं. आइए जानते हैं राजस्थान में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार के 5 कारण :
बीजेपी के हथियार से बीजेपी पर वार : इस चुनाव में कांग्रेस ने बहुत सधी हुई शुरुआत की. ठोस रणनीति बनाई, जनता की नब्ज टटोली और जनता से जुड़े मुद्दे उठाकर जनता के सामने पेश हुई. वसुंधरा सरकार के खिलाफ नाराजगी तो थी ही, उसे भुनाकर कांग्रेस ने खुद को विकल्प के रूप में पेश किया. शुरुआत में प्रदेशाध्यक्ष और अशोक गहलोत के बीच अनबन की खबरें आईं, पर राहुल गांधी ने दोनों के बीच बीचबचाव कर वो भी दूर कर दिया. कांग्रेस एक टीम के रूप में मैदान में गई और चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत की.
सरकार के खिलाफ आक्रामक प्रचार : पिछली बार राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर गए थे. वहां से लौटने के बाद उनका दूसरा ही रूप नजर आया. उसके बाद उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझी और ठोस रणनीति के साथ सरकार पर वार करना शुरू कर दिया. अध्यक्षी संभालने के बाद कांग्रेस दूसरे रूप में नजर आने लगी. जो कांग्रेस सरकार और बीजेपी के सामने कहीं टिकती नहीं थी, वहीं टीवी चैनलों पर मुकाबले में आ गई. सोशल मीडिया पर कांग्रेस के सभी बड़े नेता चौकस हो गए और रोजाना सरकार पर वार करते रहे.
राफेल और नोटबंदी का मुद्दा : कांग्रेस की अध्यक्षी संभालने के कुछ माह बाद राफेल का मुद्दा राहुल गांधी के हाथ लग गया. इस मुद्दे को उन्होंने खूब भुनाया. इतना भुनाया कि फ्रांस में भी इस मुद्दे के खिलाफ मुकदमा हो गया और वहां के पूर्व राष्ट्रपति ने राहुल गांधी की भाषा बोल दी. राफेल डील को कांग्रेस ने इतना आगे कर दिया कि विधानसभा चुनाव में लोकल मुद्दे पीछे छूट गए. इसके अलावा राहुल गांधी और कांग्रेस ने दूर देहात व कस्बों की रैली में नोटबंदी के दुष्परिणाम की बात करते रहे, जिससे लोगों में बीजेपी से नाराजगी और बढ़ती गई.
वसुंधरा के खिलाफ नाराजगी : वैसे तो राजस्थान की जनता 5 साल के बाद सरकारों को बदलती रही है और उस हिसाब से देखा जाए तो राज्य में आए चुनाव परिणाम बहुत अप्रत्याशित नहीं है. अप्रत्याशित है तो बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर. राजनीतिक पंडित बीजेपी से इस बार वैसे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर रहे थे, जैसा प्रदर्शन मतगणना के बाद सामने आ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग वसुंधरा सरकार से काफी नाराज बताए जा रहे थे. उस हिसाब से बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और बहुमत के लिए कांग्रेस को काफी इंतजार करना पड़ा.
बीजेपी के बागी नेता : आम तौर पर माना जाता है कि तिकोना चुनाव में बीजेपी को फायदा होता है, क्योंकि तीसरी पार्टी में विपक्ष का वोट बंट जाता है और बीजेपी को इकतरफा वोट मिल जाता है. आम तौर पर ऐसे ही देखने को मिलता है कि जहां तिकोना चुनाव होता है वहां बीजेपी को फायदा होता है, लेकिन राजस्थान में इस बार ऐसा नहीं हुआ. राजस्थान में बीजेपी के बागियों ने चुनाव को तिकोना बनाने की कोशिश की, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए, लेकिन बीजेपी की हार की राह जरूर आसान कर दी. बीजेपी को उम्मीद थी कि बागी कांग्रेस के वोट काटेंगे, लेकिन हुआ उल्टा. बागी वोटकटवा बनकर रह गए और कांग्रेस की राह आसान हो गई.
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