'मस्तराम' में लोगों को मर्दानगी दिखीं और 'रसभरी' में औरत की बेशर्मी

हमारे समाज को आदत नहीं है महिलाओं की सेक्स को लेकर फिलिंग्स वाली फिल्में देखने की. लेकिन हां अगर ऐसी फिल्में पुरूष केंद्रित हो तो वो खुशी-खुशी देखेगा. यहीं हुआ रसभरी के साथ जबकि ये फिल्म एक महिला का सेक्स को लेकर जिज्ञासा की नहीं बल्कि सभ्य समाज के म

हमारे समाज को आदत नहीं है महिलाओं की सेक्स को लेकर फिलिंग्स वाली फिल्में देखने की. लेकिन हां अगर ऐसी फिल्में पुरूष केंद्रित हो तो वो खुशी-खुशी देखेगा. यहीं हुआ रसभरी के साथ जबकि ये फिल्म एक महिला का सेक्स को लेकर जिज्ञासा की नहीं बल्कि सभ्य समाज के म

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Vineeta Mandal
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Rashbhari( Photo Credit : (फोटो-Insta))

पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया साइट पर वेब सीरीज 'रसभरी' (Web Series Rashbhari) ट्रेंड कर रही है. इसके नाम से ही लोगों ने इसे अश्लील घोषित कर दिया. ट्विटर से लेकर फेसबुक तक इस वेब सीरीज को खूब ट्रोल किया गया. मैनें भी सोचा चलो देखते है कि आखिर इसमें ऐसा क्या है जो इतना हंगामा बरपा है. तो आइए पहले एक नजर कहानी पर मार लेते हैं. रसभरी की कहानी यूपी के मेरठ की है, जहां एक शानू उर्फ रसभरी (स्वरा भास्कर) अपने पति के साथ रहने आती है.

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शानू एक स्कूल टीचर होती और वहीं एक बच्चा होता नंद जो अपनी मैडम को देखते ही दोस्तों से कहता है इन्हें मैं अपने बच्चे की मां बनाऊंगा. सोने पर सुहागा तब होता है जब नंद को पता चलता है कि ये मैडम तो अपनी सेवा मेरठ के हर मर्द को दे रही है और पूरा शहर उनका दीवाना बना हुआ है. फिर क्या था कुछ दिन में नंद भी बन जाता अपनी मैडम का फेवरेट.... बस यही से हमारे सभ्य समाज के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगते हैं. इसमें शायद इनकी गलती भी नहीं है क्योंकि शुरू से टीचर  स्टूडेंट के ऊपर तमाम मनोहर कहानियां और पोर्न फिल्में भरी पड़ी है.

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रसभरी को एडल्ट सीरीज में रखा गया है लेकिन इससे ज्यादा सेक्स सीन तो आजकल कोई भी नॉर्मल सीरीज में रहती है. लेकिन फिर भी समाज के मठाधीश स्वरा पर समाज में अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा रही है. रसभरी को जिस तरह ट्रोल किया जा रहा है उससे मुझे कुछ सालों पहले आई फिल्म 'Lipstick Under My Burkha' फिल्म की याद आ गई है. ये फिल्म महिला प्रधान थी, जिसमें महिलाओं की जिज्ञासा को दिखाया गया था. काफी विरोध सहने के बाद ही ये फिल्म रिलीज हो पाई थी.

दरअसल, हमारे समाज को आदत नहीं है महिलाओं की सेक्स को लेकर फीलिंग्स वाली फिल्में देखने की. लेकिन हां अगर ऐसी फिल्में पुरुष केंद्रित हो तो वो खुशी-खुशी देखेगा. यहीं हुआ रसभरी के साथ जबकि ये फिल्म एक महिला का सेक्स को लेकर जिज्ञासा की नहीं बल्कि सभ्य समाज के मर्दों की हकीकत दिखाती है. कि कैसे जब मोहल्ले में एक खूबसूरत महिला आती है तो आसपास के मर्दों की जुबान लपलपाती है. भूखे भेड़िए की तरह उनकी नजर हमेशा उस महिला के घर के इर्द-गिर्द घूमती है. मौका मिलते ही वो उस पर झपटा मार लेता है या दूसरी तरफ करारा वार मिलने पर तिलमिला कर झूठी मनोहर कहानियां फैला देता है.

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कभी-कभी ऐसे पुरुषों को बढ़ावा मिलने का क्रेडिट भी उनके पीछे ढाल की तरह खड़ी महिलाओं का होता है. रसभरी में ही आपको इसकी चंद झलकियां देखने को मिलती है. मोहल्ले की सब औरतों को पता होता है कि उनका पति क्या कर के आ रहा है लेकिन वो उनपर सवाल करने की जगह दूसरी महिला को गाली से सम्मानित करती है. हमारे आसपास भी तो ऐसा ही होता ही कि हर गलती किसी दूसरी महिला या लड़की पर मढ़ कर अपने पति या ब्यॉयफ्रेंड को सारी गलतियों से आजाद कर देते हैं.

मैक्स प्लेयर पर कुछ समय पहले 'मस्तराम' नाम की एक वेब सीरीज रिलीज हुई थी, जिसे आप पोर्न फिल्मों की कैटेगरी में रखेंगे तो गलत नहीं होंगे. ये फिल्म मनोहर कहानियों की मैग्जीन पर आधारित है या कहे इस मैग्जीन की शुरुआत की कहानी है. इसमें मुख्य किरदार दोस्त की दीदी से, पड़ोस की भाभी से, मंगेतर की बुआ और सहेली से, हर किसी के साथ हमबिस्तर होता है, भला हर चीज कल्पना में दिखाई गई हो. लेकिन इस पर सभ्य समाज को बिगाड़ने का आरोप नहीं लगा और न ही कहीं से विरोध की आवाज सुनाई दी. इसकी वजह शायद ये हो सकती है कि इसमें एक लड़का मुख्य किरदार में है जो हर अलग-अलग लड़की के साथ सेक्स करता है. 

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इस वेब सीरिज में सभ्य समाज को मर्द की मर्दानगी दिखी और रसभरी में औरत की बेशर्मी.यहां आप ये भी कह सकते है एक की गलती की वजह से दूसरी की गलती को सही नहीं ठहरा सकते हैं. लेकिन फिर भी सवाल यहीं रहेगा कि हंगामा तब ही क्यों बरपता है जब वहां कोई महिला होती है. अगर कोई चीजें गलत है तो सवालों के कठघरा में दोनों को खड़ा कीजिए.

(ये लेखक के अपने निजी विचार हैं)

Source : Vineeta Mandal

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