logo-image

Artificial Intelligence War: तकनीकी युद्ध की ओर दौड़ते इंसान, US-China के बीच फंसता भारत!

Artificial Intelligence War : आसमान में उड़ रहा ड्रोन दुनिया के किसी भी हिस्से में और किसी को भी ढेर कर दे रहा है. ईरान के टॉप मिलिटरी कमांडर सुलेमान कासिम हों या अलकायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन. दूर अमेरिका में बैठे ऑपरेटर ने एक बटन दबाया और टारगेट ढेर. रीपर ड्रोन के सहारे अपनी ताकत की नुमाइश कर रहे....

Updated on: 11 Apr 2023, 10:17 PM

highlights

  • भविष्य को लेकर चिंचित हो रही दुनिया
  • मशीनों के सहारे खुद का वजूद बचाने की कोशिश कर रहे इंसान?
  • जिन देशों के पास तकनीकी नहीं, उनका क्या?

नई दिल्ली:

Artificial Intelligence War : आसमान में उड़ रहा ड्रोन दुनिया के किसी भी हिस्से में और किसी को भी ढेर कर दे रहा है. ईरान के टॉप मिलिटरी कमांडर सुलेमान कासिम हों या अलकायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन. दूर अमेरिका में बैठे ऑपरेटर ने एक बटन दबाया और टारगेट ढेर. रीपर ड्रोन के सहारे अपनी ताकत की नुमाइश कर रहे अमेरिका को भी अब चुनौती मिलने लगी है. अमेरिकी कंपनियां भले ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में अभी बाजी मार रही हों, लेकिन उसे चुनौती चीनी तकनीकी कंपनियों से मिल रही है. सवाल ये है कि अगर इन सब चीजों यानी लड़ाई झगड़े को करने और निपटाने की शक्ति कभी इंसानों ने मशीनों के हाथों में सौंप दी तो?

इंसानों की ना-फरमानी कितने समय तक रुकेगी?

अमेरिका कई ऐसे रोबोट विकसित कर चुका है, जो युद्ध के मैदान में इंसानी सैनिकों की जगह लेने को तैयार हैं. कुछ चिंताओं की वजह से उन्हें अब तक क्लियरेंस नहीं मिली है. ये चिंताएं सबसे ज्यादा इस बात की है कि अगर कोई मशीन इंसानों का कहना मानना ही बंद कर दे और बाकी मशीनों को अपने इशारों पर नचाने लगे तो? क्योंकि इंसानों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को इस हद तक विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है कि वो सही और गलत के फैसलों, मानवीय फैसलों को छोड़कर सारे फैसले लेने लगे हैं. लेकिन किसी मशीन ने अगर इंसानों की नाफरमानी कर दी तो?

फिल्मों से ही सबक ले लो...

हॉलीवुड की कई फिल्मों, यहां तक कि तमिल फिल्म रोबोट सवा दशक पहले ही आ गई थी. उसमें भी एक ही रोबोट सभी इंसानों को 'औकात' याद दिला देता है. अभी बाजार में ऐसा ही एक फीचर आया है, 'चैट जीपीटी'. ओपन एआई की ये सेवा आपको दुनिया की हर जानकारी दे सकती है. ये फिल्म का स्क्रिप्ट एकदम अलग तरीके से लिख सकता है. कोई कविता भी लिख सकता है और किसी भी सवाल का जवाब ढूंढकर आपको दे सकता है. यहां तक तो हालत फिर भी ठीक है. भले ही हाई एंड जॉब्स खत्म हो जाएं, या इंसानी दिमाग इन सबसे पिछड़ जाए. लेकिन अगर किसी इंसानी दिमाग ने ही उसमें छेड़छाड़ कर ऐसी सेंध लगा दे कि हर वो जानकारी आम लोगों तक पहुंच जाए, जो नहीं पहुंचनी चाहिए... तो?

ये भी पढ़ें : Corona Updates: दिल्ली में कोरोना की रफ्तार बढ़ी, 24 घंटे के अंदर 980 मामले सामने आए

इन अमेरिकी-चीनी कंपनियों में होड़

अमेरिका की टॉप आईटी कंपनियां ओपन एआई, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, अमेजन, मेटा आज एआई की दुनिया को अलग स्तर तक ले जाने की तैयारी में हैं. मेटा ने तो अलग दुनिया ही बसा ली है. इसमें नाम टेस्ला का भी जोड़ लें. फिर मस्क भाई साहब तो मंगल पर ही इंसानों को बसाने की योजना बना चुके हैं. उसके लिए जी-जान से जुटे भी हैं. वहीं, चीनी कंपनियों में बायडू, अलीबाबा, ह्वूवेई, टेंसेंट, जेडी जैसी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अलग दिशा में लेकर जा रही हैं. इसके अलावा अन्य देशों की कंपनियां भी काफी कुछ कर रही हैं. कंपनियों का छोड़िए, सरकारें और रक्षा विभाग स्वायत्र मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लेकर ड्रोन की फौज तक बना चुके हैं. इन्हें अपने टारगेट को लेकर आत्मनिर्णय का अधिकार भी दिया जा चुका है. भारत भी पीछे नहीं है. वो भी ऐसे कामों में जुटा हुआ है. लेकिन सवाल ये है कि अमेरिका और चीन के बीच की एआई जंग में भारत कहां है. अगर भारत इनके टक्कर का नहीं है, तो किसके साथ और किसके पीछे खड़ा है? बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं है. इन देशों से मिली भविष्य की तकनीक भविष्य में भारत या किसी अन्य अल्पविकसित देश में बगावत कर दे और खुद की सल्तनत कायम कर दे तो? सोचिए, अभी भी देर नहीं हुई है...