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अमेरिका ने जयशंकर के बयान को सराहा, Russia-Ukraine war पर ये कहा

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बीते माह भारत के विदेश मंत्रालय से हमारी बातचीत हुई. नेड प्राइस ने दोहराया कि ये मानवता के खिलाफ है.

Updated on: 09 Nov 2022, 06:40 PM

highlights

  • एस जयशंकर इस समय रूस के दो दिवसीय दौरे पर हैं
  • नेड प्राइस ने दोहराया कि युद्ध मानवता के खिलाफ है
  • कहा, भारत इस युद्ध का हल कूटनीकि दृष्टि से देखना चाहता है

नई दिल्ली:

रूस और यूक्रेन के संघर्ष (Russia-Ukraine war) को कम करने के लिए भारत के प्रयास की अमेरिका (America) ने सराहना की है. अमेरिका के विदेश विभाग ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रूस को यूक्रेन में लड़ाई को रोकने के लिए भारत के संदेश को सुनना चाहिए. गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) इस समय रूस (Russia) के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इस बीच उन्होंने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को लेकर अपना संदेश दिया है. उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच मास्कों में हुई चर्चा पर पूरी दुनिया की नजर है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बीते माह भारत के विदेश मंत्रालय से हमारी बातचीत हुई. नेड प्राइस ने दोहराया कि युद्ध मानवता के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि यही बात भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को कही और अब विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस बात को दोहरा रहे हैं. 

नेड प्राइस ने कहा कि भारत इस युद्ध का हल कूटनीकि दृष्टि से देखना चाहता है.  भारत यह संदेश देना चाहता है कि रूस-यूक्रेन का संघर्ष कूटनीतिक तरह से किया जाए. उन्होंने कहा कि यह समय युद्ध का नहीं है. ऐसे में दोनों देशों  को इस बयान की अहमियत समझनी होगी. गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पुतिन से समरकंद में कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है. 

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भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम करे  

एक दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह दोहरया था कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा. यह उसके हित में होगा. इसे लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए नेड प्राइस ने प्रतिक्रिया दी कि रूस से तेल खरीदना भारत और रूस के ​द्विपक्षीय हितों से जुड़ा है. हालांकि सामूहिक हित को लेकर भारत को रूस पर अपनी निर्भरता को कम करना जरूरी है. उन्होंने कहा रूस किसी मामले में विश्वसनीय नहीं है. अमेरिका का कहना है कि भारत को ऊर्जा की भारी आवश्यकता है. इस कारण वह रूस से ईंधन को खरीदने में लगा है. यह मामला प्रतिबंधों  के उल्‍लंघन का बिल्कुल नहीं है. उन्होंने कहा कि यह वक्त रूस से व्यापार करने का नहीं है. जो कोई भी उस पर निर्भर है, उन्हें अपने व्यापार को समेट लेना चाहिए.