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पंजाब में कांग्रेस वाया यूपी!

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर कांड पर पंजाब में सियासी घमासान मचा हुआ है. नवजोत सिंह सिद्दू अपने लाव लश्कर के साथ यूपी कूच करने और अनशन पर बैठने का एलान कर चुके हैं.

Updated on: 07 Oct 2021, 05:17 PM

highlights

  • लखीमपुर कांड पर पंजाब में सियासी घमासान 
  • यूपी कूच करते सिद्दू को सहारनपुर रोका 
  • देशभर के नेता लखीमपुर कांड को भूनाने की कोशिश में लगे 

नई दिल्ली :

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर कांड पर पंजाब में सियासी घमासान मचा हुआ है. नवजोत सिंह सिद्दू अपने लाव लश्कर के साथ यूपी कूच करने और अनशन पर बैठने का एलान कर चुके हैं. इससे पहले कल आम आदमी पार्टी ने लखीमपुर कांड को लेकर चंडीगढ़ में राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया, जिन्हें काबू करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन तक का इस्तेमाल करना पड़ा. इसके अलावा भी देशभर से विपक्ष के नेता मुद्दे को भूनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी लखीमपुर मामले पर राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नजर आ रहे हैं. सिद्दू, रंधावा और चन्नी की इस सक्रियता के पीछे हैं पंजाब के सियासी समीकरण का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है.

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वैसे लखीमपुर मामले पर पंजाब में आदमी पार्टी से ज्यादा कांग्रेस के नेता सक्रिय हैं. वजह साफ है, कांग्रेस पंजाब में वाया यूपी अपनी वापसी की उम्मीद कर रही है. दरअसल, पंजाब कांग्रेस में घमासान अभी थमा नहीं है. कैप्टन के आउट होने के बावजूद वर्चस्व की जंग जारी है. लखमीपुर कांड के जरिए पंजाब कांग्रेस के नेताओं को मौका मिल गया है.. हर कोई अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है. अब देखना ये है कि किसकी राजनितिक सूझ-बूझ अधिक काम आएगी. पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिन्दर सिंह ने लखीमपुर जाने की कोशिश की तो उन्हें सहारनपुर में यूपी पुलिस ने रोक दिया.

पंजाब में 75% आबादी खेतीबाड़ी से जुड़ी है
117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 77 सीटों पर किसानों के वोट बैंक का दबदबा है. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी वाले रूहेलखंड वाले क्षेत्र को यूपी का पंजाब कहा जाता है। यही वजह है कि लखीमपुर में मारे गए किसानों को पंजाब सरकार यूपी सरकार से ज्यादा मुआवजा देने का ऐलान कर चुकी है. जाहिर है किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी से बढ़त ले लेना चाहती है. लखीमपुर हिंसा के जरिए पंजाब के कांग्रेस नेता अपना अपना समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं। हांलाकिं उनका ये प्रयोग कितना सफल होगा ये अगले साल होने वाला पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बता सकेंगे.