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संड्यूज प्लांट Photograph: (SOCIAL MEDIA)
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संड्यूज प्लांट Photograph: (SOCIAL MEDIA)
पश्चिम बंगाल के मिदिनीपुर और बैंकुरा क्षेत्र के जंगलों में एक अनोखा पौधा पाया गया है, जिसे संड्यूज (Drosera) कहा जाता है. यह पौधा कीटभक्षी पौधों की प्रजाति से संबंध रखता है और छोटे कीटों को खाकर अपना जीवनयापन करता है. हालांकि, इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं, जिसके चलते लोगों में डर और उत्सुकता का माहौल है.
संड्यूज पौधा मुख्य रूप से छोटे कीटों को आकर्षित करने और उन्हें खाने के लिए जाना जाता है. इसके पत्तों पर ओस जैसे दिखने वाले चिपचिपे पदार्थ (sticky substance) मौजूद होते हैं, जो कीटों को अपनी ओर खींचते हैं. एक बार जब कीट इस पर बैठता है, तो वह चिपचिपे पदार्थ में फंस जाता है और पौधा धीरे-धीरे उसे सोख लेता है.
यह पौधा देखने में छोटा और खूबसूरत होता है, जिसका रंग लाल-नारंगी होता है. इसके पत्ते गोलाकार होते हैं, जिनके चारों ओर शाखा जैसी संरचनाएं होती हैं. यह मुख्य रूप से चट्टानी और बंजर भूमि पर उगता है. पश्चिम बंगाल के अलावा यह पौधा अफ्रीकी प्रजातियों से भी मेल खाता है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर संड्यूज पौधे को लेकर यह गलत धारणा फैल गई है कि यह एक मांसाहारी पौधा है, जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है. कुछ लोग इसे देखकर डर रहे हैं और इसे नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि यह पौधा केवल छोटे कीटों को खाता है और इसका इंसानों या बड़े जानवरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
बैंकुरा और पश्चिम मिदिनीपुर के कई जंगलों जैसे गुर्गुरीपाल, चंद्रा और लालगढ़ में यह पौधा लंबे समय से पाया जाता रहा है. हालांकि, इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है, जिसके चलते इसे नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
संड्यूज जैसे अनोखे पौधों का अस्तित्व हमारे इकोसिस्टम के लिए बहुत जरूरी है. यह न केवल जैव विविधता को बनाए रखता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस पौधे को लेकर फैल रही गलतफहमियों को दूर करना और इसके संरक्षण के लिए कदम उठाना आवश्यक है.
संड्यूज पौधा मांसाहारी नहीं है और इसे नष्ट करने की बजाय इसके महत्व को समझने की जरूरत है. सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को इस दिशा में लोगों को शिक्षित करना चाहिए ताकि प्रकृति की इस अनमोल विरासत को बचाया जा सके.
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