logo-image

कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के विस्थापितों को राहत, बड़े संशोधन की तैयारी 

संसद में इस अमेंडमेंट के बाद इन दोनों ही विस्थापित समुदाय को इनके राजनीतिक अधिकार मिल पाएंगे

Updated on: 24 Jul 2023, 04:13 PM

highlights

  • री ऑर्गेनाइजेशन बिल के संशोधन की बात सामने आ रही है
  • विस्थापित समुदाय को इनके राजनीतिक अधिकार मिल पाएंगे

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर में जल्द ही कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए विस्थापितों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आ सकती है. दरअसल जो खबर है उसके मुताबिक केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2019 में संशोधन कर कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए 2 और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए हुए विस्थापितों के लिए 1 सीट जम्मू कश्मीर असेंबली में रिजर्व कर सकती है. संसद के इसी सत्र में री ऑर्गेनाइजेशन बिल के संशोधन की बात सामने आ रही है . 

जम्मू कश्मीर असेंबली में यह तीनों सदस्य नॉमिनेशन के जरिए चुने जाएंगे जिन्हें जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर चुनेंगे. संसद में इस अमेंडमेंट के बाद इन दोनों ही विस्थापित समुदाय को इनके राजनीतिक अधिकार मिल पाएंगे जिसकी मांगे सालों से करते आए हैं. जम्मू कश्मीर में हुए डीलिमिटेशन के बाद यहां 114 सीटें बनी है जिसमें 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के क्षेत्र में पढ़ती हैं जबकि बची हुई 90 सीटें जम्मू कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में बनाई गई विधानसभा क्षेत्रों की है.

ये भी पढ़ें: Gyanvapi Case: ASI के सर्वे पर जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? पूरे घटनाक्रम की 10 बड़ी बातें   

 इन 90 सीटों में से 47 सीटें कश्मीर संभाग में है जबकि 43 सीटें जम्मू संभाग में है . इन सीटों में 9 सीटें जम्मू कश्मीर में ट्राइबल समुदाय के लिए रिजर्व है साथ ही 7 सीटें शेड्यूल कास्ट समुदायों के लिए रिजर्व है. जम्मू कश्मीर में री ऑर्गेनाइजेशन एक्ट में संशोधन के बाद 90 सीटों में यह 3 सीटें भी जुड़ जाएंगे जिसके बाद दोनों ही संभागों में लगभग सीटों का अंतर खत्म हो जाएगा जहां जम्मू में यह सीटें 46 के आसपास पहुंच जाएंगे वहीं कश्मीर में इसका आंकड़ा 47 होगा. 

 इस खबर के सामने आने के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आई विस्थापितों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत तो किया है लेकिन उनका कहना है कि उन्हें इसमें कुछ और सीटें भी मिलनी चाहिए जिसकी मांग वे सरकार से पहले ही कर चुके हैं. ऐसे में फिलहाल वह संसद में सरकार द्वारा किए जाने वाले इस अमेंडमेंट का इंतजार कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और उनका साफ कहना है कि सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में उन लोगों को उनके हक मिल पाएंगे जो सालों से अपनी लड़ाई लड़ रहे थे.