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गजबः राजस्थान में 350 क्विंटल चूरमा में JCB मिला रही काजू-पिस्ता, जानें कारण

350 क्विंटल चूरमा में 125 क्विंटल आटा, 51 क्विंटल दूध, 3 क्विंटल नारियल, 6 क्विंटल मिश्री, ढ़ाई क्विवंटल किशमिश, ढ़ाई क्विंटल बादाम, ढाई क्विंटल काजू, 12 क्विंटल मावा, 85 क्विंटल बुरा, 26 क्विंटल देसी घी और 45 क्विंटल सूजी का मिश्रण किया जा रहा है

Updated on: 29 Jan 2023, 05:55 PM

New Delhi:

350 क्विंटल चूरमा में 125 क्विंटल आटा, 51 क्विंटल दूध, 3 क्विंटल नारियल, 6 क्विंटल मिश्री, ढाई क्विवंटल किशमिश, ढाई क्विंटल बादाम, ढाई क्विंटल काजू, 12 क्विंटल मावा, 85 क्विंटल बुरा, 26 क्विंटल देसी घी और 45 क्विंटल सूजी का मिश्रण किया जा रहा है और इस सामग्री को मिलाने का काम कर रही है जीसीबी मशीन. यह सुनकर आप चक्कर में पड़ गए होंगे कि आखिर इतनी सारी मिठाई क्यों और कहां बनाई जा रही है. कन्फ्यूज न होइए. यह सीन राजस्थान की राजधानी के कोटपुतली इलाके का है और यह चूरमा भैंरू बाबा का प्रसाद है.

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थ्रेसर मशीन से पीसी जा रहीं बाटियां

दरअसल, कोटपुतली के कुहाड़ा गांव स्थित भैंरू बाबा के मंदिर में कल यानी सोमवार को लक्खी मेला आयोजित किया जाएगा. यह धार्मिक कार्यक्रम हर साल भव्य तरीके से बनाया जाता है. भैंरू बाबा के प्रसाद के लिए बड़ी मात्रा में चूरमे का इंतजाम किया जा रहा है. इस प्रसाद के तैयार करने में 100 ज्यादा लोगों को लगाया गया है. थ्रेसर मशीन से बाटियों को पीसा जा रहा है, जबकि जेसीबी से चूरमें में घी, बुरा और मेवा मिलाई जा रही हैं. खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कई दिग्गज नेता पहुंचेंगे. आपको बता दें कि कोटपुतली से 15 किलोमीटर की दूरी पर छापला वाले भैंरूबाबा की बड़ी मान्यता है. यही वजह है कि लोग करीब एक महीना पहले से ही मेले की तैयारियों में जुट जाते हैं. मेले में पंजाब, हरियाणा व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं. 

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मेहे की तैयारी में जुटे हजारों लोग

इस बार भैंरू बाबा के मेले को सफल बनाने के लिए 20 स्कूलों के करीब 4000 स्वयंसेवक, 2500 पुरुष कार्यकर्ता, 400 महिला स्वयंसेवक और दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाएं काम में जुटी हैं. बाबा की महाप्रसादी में केवल चूरमा और दाल ही तैयार की जाती है. प्रसादी के रूप में बनने वाली इस खास दाल में 30 टिन सरसों का तेल, 9 क्विंटल सब्जी, 150 किलो मसाला और 700 किलो दही का इस्तेमाल किया जाता है.