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महिला ने बनाया ऑक्सीजन ऑटो.. वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

चेन्नई की रहने वाली 37 वर्षीय सीता की 65 वर्षीय मां विजया किडनी की बीमारी से जूझ रही थी. कोरोना की सैकेंड लहर के दौरान सीता की मां भी संक्रमित हो गई. सीता मां को लेकर राजीव गांधी जिला अस्पताल पहुंची.

Updated on: 27 Aug 2021, 07:44 PM

highlights

  • कोरोनाकाल में लिया था संकल्प 
  • सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा महिला का ऑक्सीजन ऑटो
  • सैकेंड लहर में चली गई थी मां की जान 

New delhi:

पिछले दो सालों से लोग कोरोना (CORONA) से निरंतर जंग लड़ रहे हैं. लाखों परिवारों के जहन में अपनों से बिछड़ने डर बैठ गया है. हजारों लोग घर से बेघर हो गए हैं. हजारों लोगों ने संसाधनों के अभाव में दम तोड़ा है. जिसे लोग भूला नहीं पाए हैं. आज जिस महिला की हम बात कर रहे हैं उनकी मां ने भी कोरोना की सैकेंड लहर में ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया है. उसी समय महिला ने संकल्प लिया था कि वह कुछ ऐसा करेगी जिससे वह दूसरे कोरोना मरीजों की मदद कर सके. उसी संकल्प को पूरा करते हुए महिला ने  ऑक्सीजन ऑटो का निर्माण कराया. साथ ही ऑक्सीजन ऑटो की वजह से लगभग 800 लोगों की जान बचाई जा सकी. महिला की दरियादिली सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. साथ ही यूजर्स की प्रतिक्रियाएं भी शानदार आ रही हैं.

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दरअसल, चेन्नई की रहने वाली 37 वर्षीय सीता की 65 वर्षीय मां विजया किडनी की बीमारी से जूझ रही थी. कोरोना की सैकेंड लहर के दौरान सीता की मां भी संक्रमित हो गई. सीता मां को लेकर राजीव गांधी जिला अस्पताल पहुंची. लेकिन वहां ऑक्सीजन बैड़ खाली नहीं था. जिसके चलते अस्पताल स्टाफ उन्हे बाहर वेट करने को कहा. सीता ने life beyond number को बताया कि ऑक्सीजन के लिए उन्हे 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था. उधर मां की तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी. अचानक मेरी मां ने हॅास्पिटल के बाहर ही दम तोड़ दिया. यदि उन्हे यदि ऑक्सीजन मिल गई होती तो उनकी जान बच जाती. उस घटना ने मुझे अंदर से काफी झकझौर दिया. मैं नहीं चाहती थी. जिस स्थिति से वह गुजरी है. कोई और उस स्थिति से गुजरे इसलिए उसने ऑक्सीजन ऑटो का निर्माण कराया.

800 लोगों की बचा चुकी है जान 
सीता के मुताबिक उसी ऑक्सीजन ऑटो के माध्यम से वह अब तक 800 लोगों की जान बचा चुकी है. साथ ही उन्होने जिनकी भी मदद की है वह पूरी तरह निशुल्क की है. इस नेक काम में उनके साथ दो वॅालंटियर्स सरथ कुमार और मोहनराज भी रहे. जिनकी मदद से वह मई से रोजाना राजीव गांधी जनरल हॅास्पिटल(rgggh) के सामने सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने का काम करती हैं. चेन्नई की सीता की दर्द भरी काहनी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. साथ ही यूजर्स उन्हे तरह-तरह की प्रतिक्रियांए भी दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा सीता से हमे सीख लेनी चाहिए.