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इस देश में काले मिट्टी के बर्तन बनाने से मिली गरीबी से मुक्ति

पाईमा छ्युनच्या 12 साल की उम्र से ही काले मिट्टी के बर्तन बनाने का कौशल सीखने लगे. वह काले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवार में 13वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी हैं.

Updated on: 19 Oct 2020, 12:53 PM

बीजिंग:

छिंगहाई प्रांत के य्वीशू तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की नांगछ्येन काउंटी में तिब्बती शैली वाले काले मिट्टी के बर्तन बनाने की कला का 4 हजार से अधिक वर्ष पुराना इतिहास है. इसके बारे में एक प्रथा भी प्रचलित है. कहते हैं कि थांग राजवंश की राजकुमारी वनछ और तत्कालीन तिब्बत के थूपो वंश के राजा सोंगचान कानपू के साथ शादी के लिए राजधानी छांगआन से रवाना हुई. रास्ते में राजकुमारी का काफिला य्वीशू से गुजरा. उन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाने का खास कौशल स्थानीय तिब्बती नागरिकों को सिखाया, जिससे स्थानीय मिट्टी के बर्तन बनने की तकनीक और संपूर्ण हो गई. इसे तिब्बती और हान जाति की संस्कृति के मिश्रण का फल माना जाता है.

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बताया जाता है कि पाईमा छ्युनच्या 12 साल की उम्र से ही काले मिट्टी के बर्तन बनाने का कौशल सीखने लगे. वह काले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवार में 13वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी हैं. देश में गरीबी उन्मूलन वाले अभियान में नांगछ्येन काउंटी में भी गरीबी उन्मूलन कार्य जोरों पर है. ज्यादा से ज्यादा चरवाहों को काले मिट्टी के बर्तन बनाने का कौशल हासिल करने में मदद देने के लिए पाईमा छ्युनच्या ने एक कारखाना स्थापित किया, जहां स्थानीय गरीब लोगों को काम पर रखा जाता है. इससे गरीब परिवारों की मुश्किल स्थिति कम हुई.

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कारखाने में उन्होंने प्रेरणा-प्रणाली स्थापित की. जिस कर्मचारी ने अच्छे मिट्टी के बर्तन बनाए, उसे ज्यादा वेतन मिलता है. आम तौर पर हर कर्मचारी को एक महीने कम से कम 3 हजार युआन की आय मिलती है. सबसे ज्यादा आय प्राप्त वाले को 10 हजार युआन से अधिक मिलते हैं. नांगछ्येन काउंटी की सरकार ने काले मिट्टी के बर्तन बनाने को महत्वपूर्ण प्रशिक्षण परियोजनाओं में शामिल किया. पाईमा छ्युनच्यां के कारखाने ने प्रशिक्षण परियोजना के तहत एक हजार से अधिक लोगों का प्रशिक्षण दिया. कारखाने ने प्रतिभाओं के प्रशिक्षण, गरीब लोगों की गरीबी से मुक्ति और समृद्धि की प्राप्ति आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किये.