इस मंदिर में देखने को मिलता है अद्भुत चमत्कार, जहां बलि देने के बाद भी नहीं मरता जीव

भारत में ऐसे तमाम मंदिर है जिन्हें रहस्यमयी माना जाता है. इन्हीं में से एक मंदिर है माता मुंडेश्वरी का. ये मंदिर बिहार के

भारत में ऐसे तमाम मंदिर है जिन्हें रहस्यमयी माना जाता है. इन्हीं में से एक मंदिर है माता मुंडेश्वरी का. ये मंदिर बिहार के

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Suhel Khan
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Mundeshwari Mata Temple( Photo Credit : Social Media)

हमारे देश में लाखों मंदिर है इनमें से कुछ मंदिर रहस्यमयी हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद रहस्यमयी माना जाता है. क्योंकि इस मंदिर में किसी जीव की बलि देने के बाद भी उसकी मौत नहीं होती. ये मंदिर  बिहार में स्थित है जिसे मुंडेश्वरी माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में बकरे की बलि देने का विधान है लेकिन मंदिर में बकरे की बलि देने के बाद भी उसकी जान नहीं जाती. बल्कि वह फिर से जिंदा हो जाता है और चलते हुए मंदिर से बाहर चला आता है. 

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बता दें कि ये मंदिर कैमूर पर्वत के ऊपर 600 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर बना हुआ है. बताया जाता है कि ये मंदिर हजारों साल पुराना है. इतिहासकारों के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 108 ईस्वी में किया गया था. जिसका निर्माण शक शासनकाल में किया गया था. ये मंदिर भगवान शिव और देवी शक्ति को समर्पित है. जो बिहार के कैमूर जिले के कौरा इलाके में मौजूद है. बता दें कि इस मंदिर में सदियों से बलि देने की परंपरा चली आ रही है. लेकिन इस मंदिर में बलि देने की परंपरा सबसे अलग है. दरअसल, इस मंदिर की खास बात ये है कि इस मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है. लेकिन उसकी जान नहीं ली जाती. बलि चलाने की प्रक्रिया को भक्तों के सामने ही किया जाता है.

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सबसे पहले बलि के लिए बकरा को माता की मूर्ति के सामने लाया जाता है. इसके बाद उसे वहां लिटाकर पुजारी उस पर कुछ मंत्रोच्चार के बाद चावल फेंकता है. ये चावल माता की मूर्ति को स्पर्श करवाने के बाद बकरे पर फेंके जाते हैं. चावल फेंकते ही बकरा मृत समान हो जाता है. उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे बकरा मर गया हो. क्योंकि बकरा में इस दौरान बिल्कुल हलचल नहीं होती. इसके बाद फिर इसी प्रकार दोबारा चावल फेंके जाते हैं बकरे पर जैसे ही चावल फेंके जाते है वैसे ही भक्त माता के जयकारे लगाने लगते हैं. माता के जयकारे लगते ही बकरा उठकर बैठ जाता है. बलि की ये प्रक्रिया होने के बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है.

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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, माता यहां इसलिए प्रकट हुई थी क्योंकि इस इलाके में चंड-मुंड नाम के दो राक्षस रहते थे उनका अंत करने के लिए माता यहां आई. जब माता ने चंड को मारा तो मुंड यहां की पहाड़ियों में आकर छिप गया. फिर माता ने उसका भी वध कर दिया. इसके साथ ही मां मुंडेश्वरी मंदिर में एक प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग की मूर्ति भी है, जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है. लोगों का कहना है कि यहां देखते ही देखते कब शिवलिंग अपना रंग बदल लेता है.

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Source : News Nation Bureau

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