इस स्थान पर आकर उड़ने लगती है हर चीज, फेल हो जाता है ग्रेविटी का सिद्धांत
Hoover Dam: दुनिया में रहस्यमयी चीजों की कमी नहीं है. आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां कोई भी चीज नीचे गिरने के बजाय ऊपर की ओर उड़ने लगती है. यहां ग्रेविटी का सिद्धांत काम नहीं करता. जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.
highlights
- हूवर डैम पर काम नहीं करती ग्रेविटी
- यहां ऊपर की ओर उड़ने लगती है हर चीज
- अमेरिका में कोलोराडो नदी पर बना है हूवर डैम
New Delhi:
Hoover Dam: वैसे तो किसी भी चीज को ऊपर से गिराने पर वह चीने ही गिरती है. नीचे गिरने के पीछे की की वजह ग्रेविटी होती है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कोई भी चीज जमीन पर न गिरकर उड़ने लगती है यानी यहां ग्रेविटी का सिद्धांत काम करना बंद कर देता है. ये स्थान स्पेम न होकर जमीन पर ही है. जिसे देखकर आम आदमी ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी हैरान रह जाते हैं. क्योंकि यहां कोई भी चीज जैसे ही पहुंचती है वह आसमान में उड़ने लगती है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं अमेरिका के हूवर डैम के बारे में. ये डैम अमेरिका के नेवादा और एरिजोना राज्य की सीमा पर बना हुआ है. हूवर डैम के पास जाने पर हर चीज हवा में उड़ने लगती है. जिसके पीछे की वजह हूवर डैम की बनावट को माना जाता है.
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बांध की बनावट की वजह से काम नहीं करती ग्रेविटी
बता दें कि हूवर डैम की बनावट के कारण यहां ग्रेविटी काम करना बंद कर देती है. यहां जैसे ही कोई सामना आता है वह हवा में उड़ने लगता है. उसपर ग्रेविटी का कोई असर नहीं पड़ता. अगर हूवर डैम से कोई पानी नीचे की ओर फेंकता है तो पानी नीचे गिरने की बजाय हवा में उड़ने लगता है. वैज्ञानिक इस घटना को हूवर डैम की बनावट की वजह से मानते हैं. दरअसल, हूवर डैम की ऊंचाई और इसके धनुष के आकार में बने होने के कारण यहां चलने वाली हवा डैम की दीवार से टकराकर नीचे से ऊपर की तरफ चलने लगती है. इसीलिए हूवर डैम से नीचे फेंकी गई चीजें जमीन पर नहीं गिरती हैं और वह ऊपर की ओर उड़ने लगती हैं.
726 फीट है हूवर डैम की ऊंचाई
हूवर डैम की ऊंचाई की बात करें तो ये 726 फीट ऊंचा है. इसके बेस की मोटाई 660 फीट है, जो फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर है. हूवर डैम कोलोराडो नदी के ऊपर बनाया गया है. इस नदी की लंबाई 2334 किलोमीटर है. इस डैम का निर्माण साल 1931 से 1936 के बीच किया गया था. हूवर डैम का नाम अमेरिका के 31वें राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर के नाम पर रखा गया है.
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बता दें कि इस बांध को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने 30 सितंबर, 1935 को राष्ट्र को समर्पित किया था. इसके निर्माण में हजारों श्रमिकों को लगाया गया. इसके निर्माण के दौरान करीब सौ श्रमिकों की मौत हो गई थी. इस बांध के निर्माण के दौरान कांग्रेस (अमेरिकी संसद) द्वारा पारित बिलों में राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर का नाम देने का जिक्र किया गया. लेकिन रूजवेल्ट प्रशासन ने इस बांध को बोल्डर डैम नाम दिया. लेकिन 1947 में कांग्रेस ने इस बांध को फिर से हूवर नाम दे दिया.
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