दिल्ली हाईकोर्ट ने एक स्कूल की हेडमिस्ट्रेस की तरफ से दायर एक याचिका पर नोटिस जारी करा है. नोटिस में आरोप लगाया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए धन दान न देने को लेकर उसे प्रशासन की तरफ से निलंबित कर दिया गया था. महिला ने यह दावा करा कि सैलरी भी कम दी जा रही है. हेडमिस्ट्रेस ने अपना सस्पेंशन खत्म करने और पूरे वेतनमान के साथ अपनी नौकरी बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है. हेडमिस्ट्रेस का आरोप है कि मंदिर परियोजना के लिए पैसे दान में न देने के कारण उसे दंडित करा जा रहा है. महिला टीचर का दावा है कि बीते वर्ष अगस्त में बिना किसी वजह से उसका अचानक स्कूल की भलस्वा ब्रांच में ट्रांसफर करा गया था. याचिका में आरोप लगाया गया कि उसे स्कूल से उसकी सभी डायरी और अन्य सामान लेने का वक्त भी नहीं दिया गया.
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70 हजार से 1 लाख रुपये जुटाने को कहा
महिला टीचर के अनुसार स्कूल सोसायटी की तरफ से सभी स्टाफ को फरवरी 2021 में राम मंदिर निर्माण के उद्देश्य से सभी स्टाफ को 70 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक एकत्र करने को कहा गया था. याचिका में आरोप है कि स्कूल स्टाफ को छात्रों या उनके माता-पिता से या बाजार जाकर दुकानदारों या आम जनता से पैसे जुटाने के लिए कहा गया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी भी क्लास की क्लास टीचर नहीं होने की वजह से अपने परिवार की खराब वित्तीय स्थिति के कारण उन्होंने खुद 70 हजार रुपये देने में असमर्थता जाहिर की.
महिला टीचर ने 2100 रुपये का किया दान
याचिका के अनुसार यह राशि समर्पण के नाम पर वार्षिक दान राशि के अतिरिक्त थी. याचिकाकर्ता को राम मंदिर के लिए 70 हजार रुपये और समर्पण के लिए 15 हजार रुपये का योगदान करने के लिए मजबूर करा गया. महिला टीचर के अनुसार उसने पैसे की बेहद तंगी के बावजूद तीन मार्च को राम मंदिर के लिए 2,100 रुपये का दान दिया. इसके बाद उसने समर्पण में किसी भी तरह राशि को दान देने से मना कर दिया.
Source : News Nation Bureau