logo-image

चीन को हराने के लिए भारतीय सेना तैयार, एलएसी पर बदली रणनीति

भारत ने एलएसी पर अमेरिका में बने चिनूक हेलिकॉप्टर, अल्ट्रा लाइट टोड हॉवित्जर और राइफल्स के साथ ही भारत में स्वदेसी तकनीक से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अल्ट्रामॉडर्न सर्विलांस सिस्टम सीमा पर लगाए हैं.

Updated on: 31 Oct 2021, 12:39 PM

highlights

  • सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अल्ट्रामॉडर्न सर्विलांस सिस्टम सीमा पर
  • अमेरिका में बने चिनूक हेलिकॉप्टर, अल्ट्रा लाइट टोड हॉवित्जर मोर्चे पर
  • दूसरी सर्दी में दोनों देशों के सैनिक सीमा पर एक-दूसरे के सामने जमे

नई दिल्ली:

चीन (China) की उकसावेपूर्ण कार्रवाई के बीच भारत (India) ने भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी शुरू कर दी है. अब मोदी सरकार (Modi Government) की पहल पर अमेरिका निर्मित हथियारों और सैन्य साज-ओ-सामान को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात करना शुरू कर दिया है. इसके तहत अब चीन के खिलाफ एलएसी पर भारत की तैयारी और मजबूत हो गई है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत ने एलएसी पर अमेरिका में बने चिनूक हेलिकॉप्टर, अल्ट्रा लाइट टोड हॉवित्जर और राइफल्स के साथ ही भारत में स्वदेसी तकनीक से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अल्ट्रामॉडर्न सर्विलांस सिस्टम सीमा पर लगाए हैं. 

माउंटेन स्ट्राइक कोर पूरी तरह से चालू
भारतीय फौज ने बताया कि एलएसी पर माउंटेन स्ट्राइक कोर पूरी तरह से चालू है. कॉम्बेट और कॉम्बेट सपोर्ट यूनिट्स सहित सभी यूनिट पूरी तरह से तैयार हैं. सामरिक जानकारों के मुताबिक भारतीय सेना की एक बड़ी टुकड़ी को अरुणाचल प्रदेश में भी तैनात किया गया है ताकि युद्ध जैसे हालात में हम 1962 की तरह कमजोर न पड़ें. ऐसे में पिछले एक साल में कम से कम 30 हजार से ज्यादा भारतीय जवानों की तैनाती अरुणाचल में हो चुकी है. इसके अलावा सेना को चुस्त, मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए जूते, कवच, तोपखाने और हवाई समर्थन को जोड़ा जा रहा था. 

यह भी पढ़ेंः देहरादून के चकराता में भीषण सड़क हादसा : एक ही गांव के 14 लोगों की मौत

सर्दी में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने डटे
सूत्रों के मुताबिक माउंटेन स्ट्राइक कोर ड्रैगन की किसी भी उकसावेपूर्ण कार्रवाई से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इसी तरह लड़ाकू और लड़ाकू सहायता इकाइयों सहित सभी इकाइयां भी पूरी तरह से तैयार और आधुनिक हथियारों से सुसज्जित हैं. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन का मानना है कि चीन के साथ बातचीत सही दिशा में न जाने के कारण मोदी सरकार एलएसी पर तैनाती पर जोर दे रही है. यह लगातार दूसरी सर्दी है, जब दोनों देश सीमा पर अपने सैनिक जमा किए हुए हैं. 

यह भी पढ़ेंः  T-20 World Cup: आज के रोमांचक मैचों से पहले देखिए आज की वर्ल्ड-11 टीम

अमेरिकी हेलिकॉप्टर से आसमानी निगरानी
एक सीनियर सैन्य कमांडर के मुताबिक भारत अब जरूरत पड़ने को चीन हराने के लिए तैयार है. अरुणाचल का क्षेत्र भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी सीमा म्यांमार तक फैली हुई है. इधर कई सकरे गलियारे हैं, जो सेना का काम थोड़ी मुश्किल करती हैं. आक्रामक रवैया भारत को चीन से मुकाबले में मदद करेगा. सेना का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी फौज की गतिविधि थोड़ी सी बढ़ी है लेकिन हमारे पास पर्याप्त सैनिक उपलब्ध हैं. यही वजह है कि तवांग से करीब 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में भारतीय सेना की नई एविएशन ब्रिगेड नए प्लान में अहम स्थान रखती है. यह वही बेस है जहां से अमेरिकी जहाजों ने दूसरे विश्व युद्ध में जापानी शाही सेना से लड़ने को उड़ान भारी थी. भारतीय एयरफोर्स अब चिनूक जैसे हेलिकॉप्टर से लैस है, जो अमेरिकी होवित्जर और सैनिकों को आसानी से और तेजी से पहाड़ों के पार ला सकता है.