सावधान! फेस शील्ड और N95 मास्क पहनने के बावजूद फैल सकता है कोरोना, शोध में हुआ खुलासा
भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए एक शोध में यह चेताया गया है कि एक्सहेलेशन वॉल्व वाले मास्क के साथ ही फेस शील्ड पहनने के बाद भी कोरोना की चपेट में आसानी से आया जा सकता है.
नई दिल्ली:
चीन से आए कोरोना वायरस को दुनियाभर में कोहराम मचाते हुए 8 महीने से भी ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इसे लेकर हर दिन कोई न कोई नई बात सामने आ रही है. कोरोना वायरस से बचने के लिए वैज्ञानिक और डॉक्टर कई तरह की सलाह दे रहे हैं. लेकिन कई बार हमारी नजरों में ऐसे लोग भी आते हैं, जिन्हें हम बिना मास्क लगाए सड़कों पर घूमते हुए देखते हैं और कई लोग ऐसे भी हैं जो हर वक्त मास्क पहने रहते हैं. मास्क को लेकर हुए एक शोध के नतीजों को सुनने के बाद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी.
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भारतीय-अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए एक शोध में यह चेताया गया है कि एक्सहेलेशन वॉल्व वाले मास्क के साथ ही फेस शील्ड पहनने के बाद भी कोरोना की चपेट में आसानी से आया जा सकता है. शोध में कहा गया है कि यदि कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता है, तो उसकी छींटों से निकलने वाले वायरस फेस शील्ड की दीवारों में घूमते रहते हैं. फ्लोरिडा अटलांटिक यूनीवर्सिटी (एफएयू) में सीटेक के निदेशक, प्राध्यापक, डिपार्टमेंट ऑफ चेयर मनहर धनक कहते हैं, "समय के साथ ये ड्रॉपलेट्स सामने और पीछे की ओर दोनों ही दिशाओं में काफी बड़े पैमाने पर फैलते हैं, हालांकि वक्त की अधिकता के साथ इनके असर में कमजोरी आती जाती है."
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शोधपत्र के मुख्य लेखक सिद्धार्थ वर्मा रहे हैं, जिनके साथ मिलकर प्रोफेसर धनक ने इसका सह-लेखन किया है. उनके इस काम में जॉन फ्रैंकफील्ड भी साथ रहे हैं, जो एफएयू के डिपार्टमेंट ऑफ ओशन एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग के तकनीकि विशेषज्ञ हैं.
धनक आगे कहते हैं, "हम यह देखने में समर्थ हो पाए हैं कि शील्ड की मदद से ड्रॉपलेट्स को सामने से चेहरे पर पड़ने से तो रोका जा सकता है, लेकिन हवाओं में विचरण करने वाले से ड्रॉपलेट्स शील्ड की दीवारों में पड़ने के साथ ही इधर-उधर प्रसार करते रहते हैं." फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स एकेडेमिक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में एन-95 मास्क के बारे में बताया कि इसमें मौजूद एक्सहेलेशन वाल्व की मदद से बड़ी संख्या में ड्रॉपलेट्स इनमें से होकर आप तक पहुंच सकते हैं.
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इस शोध के लिए रिसर्चरों ने प्रयोगशाला में एक लेजर लाइट शीट और ड्रॉपलेट्स के रूप में डिस्टिल्ड वॉटर व ग्लिसरीन का इस्तेमाल करते हुए इनके विचरण पर गौर फरमाया और पाया कि किसी के खांसने या छींकने से निकलने वाले ये ड्रॉपलेट्स सतह पर व्यापक पैमाने पर फैलते हैं. कुल मिलाकर, ये स्पष्ट है कि फेस शील्ड और एन-95 मास्क मिलकर भी कोरोना को रोकने की दिशा में उस हद तक कारगर नहीं हैं. ऐसे में बिना वाल्व वाले आम मास्क का उपयोग वायरस से बचने के लिए किया जा सकता है.
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